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    तालिबान के साथ सुलह बातचीत

    अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी ने कहा कि सभी विदेशी सेनाएं हमारी सरजमीं को छोड़ देंगी, क्योंकि यह चरमपंथी समूह तालिबान की मांग है। तालिबान और अमेरिका के अम्ध्य शांति वार्ता में सार्थक प्रगति हो रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी अफगानी विदेशी सेना को अपनी सरजमीं पर लम्बे अंतराल तक तैनात नहीं चाहता है।

    उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में विदेशी सेनाओं की उपस्थिति जरुरत के मुताबिक है, और यह जरुरत हमेशा विचाराधीन होती है। साथ ही एक सटीक और व्यवस्थित योजना के तहत यह होना है, हम इस आंकड़े को शून्य तक लाने का भरसक प्रयास करेंगे।

    अफगान में स्थायी सेना की जरुरत नहीं

    हाल ही में तालिबान और अमेरिकी विशेष राजदूत के मध्य छह दिनों तक क़तर में बातचीत जारी थी। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने सोमवार को कहा था कि अफगानिस्तान में 17 सालों के युद्ध के बाद अमेरिका ने विदेशीं सेनाओं की वापसी की प्रतिबद्धता दिखाई है।

    काबुल के एक अधिकारी ने कहा कि “बिलकुल, हमें अफगानिस्तान में एक स्थायी सेना की जरुरत नहीं है,हमारा लक्ष्य अफगानिस्तान में शांति का प्रसार करने में मदद करना है। हम भविष्य की साझेदारी करना पसंद करेंगे। हम एक अच्छी विरासत छोड़कर जाना पसंद करेंगे।”

    अधिक वार्ता की जरुरत

    ज़लमय खलीलजाद ने तालिबान के साथ सीजफायर समझौते के बाबत बातचीत की थी लेकिन कोई सार्थक परिणाम निकलकर नहीं आया है। हालांकि अमेरिकी राजदूत ने इस बयान की पुष्टि नहीं है और न ही वांशिगटन ने कोई बयान जारी किया है। तालिबान के पूर्व अधिकारी अब्दुल हाकिम मुजाहिद ने कहा कि “क़तर की बातचीत से उन्हें अच्छे संकेत मिलने की उम्मीद है, लेकिनं आगामी हफ़्तों या महीने के बातचीत करने की जरुरत है।”

    उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की समस्या इतनी इतनी इतनी आसन नहीं है कि एक दिन में ठीक हो जाए, इसके लिए अधिक बातचीत की जरुरत है। उन्होंने कहा कि अमेरिका अफगानी जंग से अब ऊब चुका है और इसे खत्म करना चाहता है। तालिबान रोजाना अफगानी सैनिकों पर आतंकी हमले करता है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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