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    श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे

    श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने गुरूवार को कहा कि देश पर बढ़ते विदेशी कर्ज को चुकाना मुश्किल होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हालिया राजनीतिक घटनाक्रम देश की आर्थिक स्थिति पर एक घातक चोट थी। रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि उनकी सरकार 1.9 अरब डॉलर जुटाने में संघर्ष कर रही है, यह काज की पहली किश्त है जिसकी आखिरी तारीख सोमवार है।

    साल 2019 में श्रीलंका पर 5.9 अरब डॉलर रूपए कर्ज है, देश इस समय वित्ति समस्याओं से जूझ रहा है। रानिल विक्रमसिंघे और राष्ट्रपति मैत्रीपला के मध्य सत्ता संघर्ष के दौरान देश ने एक अरब विदेश निवेश गंवाया था। साल 2018 के अंत में श्रीलंका के लिए मुश्किलों भरा दौर था।

    राष्ट्रपति सिरिसेना ने नाटकीय अंदाज़ में प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे को पद से बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को सत्ता सौंप दी थी। राष्ट्रपति ने संसद को भी भंग कर दिया जिसे अदालत ने असंवैधानिक करार दिया था। प्रधानमन्त्री ने कहा कि रानिल विक्रमसिंघे को 51 दिनों के बाद सत्ता तो वापस मिल गयी लेकिन वह इसकी कीमत बहुत महंगी थी।

    रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि “नुकसान का मूल्यांकन करना अभी शेष है, लेकिन वह सब अर्थव्यवस्था के लिए एक मौत की तरह था, जिसे दुरुस्त करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। तीन वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने श्रीलंका को राजनीतिक संकट के दौरान कम रेटिंग दी थी। जिससे हिंद महासागर राष्ट्र को विदेशी ऋण का उपयोग करना महंगा हो गया।

    श्रीलंका को अंतरराष्ट्रीय ऋण बाजार से 1 अरब डॉलर, चीन और जापान से 50 करोड़ डॉलर और भारतीय रिज़र्व बैंक से 400 मिलियन डॉलर अधिक की उम्मीद है। अराजकता के दौरान निलंबित किए गए, विक्रमसिंघे ने अपने वित्त मंत्री को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ ऋण व्यवस्था को पुनर्जीवित करने का प्रयास करने के लिए वाशिंगटन भेज दिया गया है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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