इस बुधवार को एशिया के डेवलपमेंट बैंक ने यह पूर्वानुमान लगाया है की उनके अनुसार अगले वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 7.6 प्रतिशत के दर से बढ़ेगी लेकिन वर्तमान वित्तीय वर्ष में बैंक ने कहा है की 7.3 प्रतिशत की दर ही बरकरार रहेगी।
वित्तीय वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट
ADB ने बताया की इस वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत थी एवं यह दूसरी में घटकर 7.1 हो गयी जिससे 2018 की पहली छमाही में औशत वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रही। दूसरी तिमाही में खराब दर छमाही की औशत दर को नीचे ले आई।
ADB के अनुसार Q2 में खराब प्रदर्शन के कारण
डेवलपमेंट बैंक ने दूसरी तिमाही में खराब प्रदर्शन पर बयान देते हुए कहा की यह मुख्यतः कच्चे माल की लागत बढ़ने, कच्चे तेल के ऊंचे भाव का व्यापार पर नकारात्मक असर, ग्रामीण मांग में कमजोरी के चलते आर्थिक वृद्धि दर में सुस्ती आई थी।
जून के महीने में भारत में कच्चे तेल के भाव एक बड़ी हद तक बढ़ गए एवं 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुच गए थे। यह मुख्यतः कच्चे तेल की बढती मांग एवं कम आपूर्ति की वजह से हुआ था। तेल के भाव बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक बुरा प्रभाव पड़ा था लेकिन कुछ महीनों में तेल आपूर्ति ठीक हो गयी थी एवं अर्थ व्यवस्था इससे उबर गयी।
वित्तीय वर्ष 2019-20 पर ADB के विचार
अगले वित्तीय वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था की औषत अनुमानित वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत मानी जा रही है। एडीबी ने बुधवार को जारी अपने ‘आउटलुक सप्लीमेंट’ में कहा कि औद्योगिक एवं कृषि उत्पादन ऊंचा रहने और निर्यात में सुधार से देश की आर्थिक वृद्धि दर में तेजी बनी हुई है। यह दर को निचे नहीं जाने देगा एवं अगले वर्ष हमें वृद्धि देखने को मिलेगी।
अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त संस्थान ने भी इस पर अपना बयान देते हुए कहा कि दक्षिण एशिया अभी भी एशिया के विकास में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला उप-क्षेत्र था। इसके साथ ही उन्होंने कहा की यूरोपियन संघ के नकारात्मक विकास के दृष्टिकोण का दक्षिण एशिया पर शायद ही कोई नाकारात्मक प्रभाव पडेगा।