बुधवार को केरल विधानसभा में इकनोमिक सर्वे द्वारा एक रिपोर्ट पेश की गयी जिसमे बताया गया था की केरल का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2017-18 में 7.18% बढ़ा, जो कि 2016-17 के 6.22% की वृद्धि दर से अधिक है।
विभिन्न सेक्टर के अनुसार जीडीपी :
प्राइमरी सेक्टर :
यदि सेक्टर के हिसाब से जीडीपी की गणना की जाए तो प्राथमिक क्षेत्र में वास्तविक रूप से 3.64 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी जोकि 2016-17 से 0.8 प्रतिशत बेहतर है, 2015-16 से 5.10 प्रतिशत बेहतर है और 2014-15 0.02 प्रतिशत बेहतर है।
सेकेंडरी सेक्टर :
यदि सेकेंडरी सेक्टर की पिछले वर्षों की तुलना में वृद्धि और विकास की बात की जाए तो इस क्षेत्र में वास्तविक वृद्धि कुल 9.2 प्रतिशत थी। 2016-17 में कुल विकास का आंकड़ा 7.8% था। विनिर्माण क्षेत्र का जीएसडीपी 2017-18 में 6.52% बढ़कर 2016-17 में 4.81% हो गया।
तृतीयक सेक्टर :
तृतीयक क्षेत्र में 2017-18 में कुल 5.84 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। जोकि 2016-17 में केवल 5 प्रतिशत था।
इन क्षेत्रों में दुसरे राज्यों से आगे है केरला :
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जनसांख्यिकीय और मानव विकास संकेतकों की बात की जाए तो केरल अन्य भारतीय राज्यों से आगे है। जहां तक राज्यों द्वारा सतत विकास लक्ष्यों (SDGs 2018) को प्राप्त करने का सवाल है, क्योंकि नीति आयोग द्वारा संकलित, केरल को हिमाचल प्रदेश के साथ पहले स्थान पर रखा गया था, जिसका स्कोर राष्ट्रीय औसत 5.7 के मुकाबले 69 था। स्वास्थ्य, शिक्षा और लैंगिक समानता से संबंधित एसडीजी में केरला पहले स्थान पर रहा।
हालांकि केरला कुछ मानकों के अनुसार दुसरे राज्यों से आगे है लेकिन केरला में एक बड़ी समस्या कड़ी हो रही है। इस राज्य में जनसँख्या एक ऐसी स्थिति में पहुँच गयी है जहाँ इसमें 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग अधिक हैं और युवा कम हैं। इस कारण से केरला दुसरे राज्यों जितना जनसांख्यिकी लाभांश नहीं प्राप्त कर पाता है।