Sat. Nov 23rd, 2024
    भारत से फरार विजय माल्या

    भारत के सरकारी बैंकों को चूना लगाकर ब्रिटेन में फरार विजय माल्या को भारत वापस लाने के लिए सरकार कई प्रास कर रही है। भारत को विजय माल्या को सौंपने के बाबत आज ब्रिटेन की वेस्टमिनिस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में आज सुनवाई होगी।

    भारत और ब्रिटेन ने साल 1993 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर किये थे। हालांकि ब्रिटेन की अदालत के मुताबिक विजय माल्या को भारत के सुपुर्द करने के कोई कानूनी तथ्य नहीं है और इस केस को गृह सचिव को रेफर कर सकती है। इस हालात में विजय माल्या और भारत उच्च अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं।

    ब्रिटेन से कई आरोपियों की कर चुका है भारत मांग

    मदीम सैफी (गुलशन कुमार मर्डर केस), रवि संकरन (नेवी वॉर रूम लीक), टाइगर हनीफ (1993 गुजरात ब्लास्ट) की भारत ने प्रत्यर्पण की मांग की थी। हालांकि ब्रिटेन में इन सभी के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई नहीं हुई थी। हालांकि विजय माल्या के प्रत्यर्पण के ब्रिटेन खासा ध्यान केन्द्रित कर रहा है।

    क्यों संभव नहीं प्रत्यर्पण

    टाइगर हनीफ के प्रत्यर्पण के मुताबिक, अगर आरोपी सभी कानूनी चुनौतियों से हार जाता है तब भी प्रत्यर्पण बिना गृह सचिव के दस्तखत के संभव नहीं है। टाइगर हनीफ के अदालत में केस हारने के बावजूद साल 2013 से प्रत्यर्पण की फाइल गृह सचिव के समक्ष है, जिस पर फैसला अभी तक रुका हुआ है।

    विजय माल्या भारत के बैंकों का कर्ज 9 हज़ार करोड़ रूपए हैं। विजय माल्या की टीम के मुताबिक वह किंगफ़िशर एयरलाइन के डूबने के कारण बैंक का कर्ज चुकाने में असमर्थ है और यह व्यापार में विफलता है। माल्या के विशेष गवाहों ने भारत के बैंकों, कैदखानों,राजनीति और न्यायिक प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाये थे। उन्होंने कहा कि यह हालात माल्या के मानव अधिकारों का हनन होगा।

    भारत ने विजय माल्या के खिलाफ हज़ार पन्नों के दस्तावेज अदालत में पेश किये थे, ऐसे ही दस्तावेज विजय माल्या की टीम ने भी प्रस्तुत किया हैं।

    विजय माल्या के गवाह और कानूनी कानून विशेषज्ञ मार्टिन लौ ने कहा कि मीडिया ट्रायल्स एक चिंता का विषय हैं, भारतीय मीडिया ट्रायल्स न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करता है। माल्या के दूसरे गवाह ने कहा कि भारत में स्थायी लोकतंत्र और मुक्त मीडिया है। कई मशहूर मीडिया हाउस है, इनमे से कई ब्रिटिश निष्पक्ष मॉडल पर कार्य करते हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *