बॉलीवुड फिल्मो और टीवी शो पर जमकर सेंसरशिप की मार पड़ती है, ऐसे में डिजिटल कंटेंट को दर्शको से ज्यादा प्यार मिलता है और फिल्ममेकर भी उसकी तरफ तेज़ी से रुख कर रहे हैं क्योंकि इस माध्यम पर, उन्हें अपनी दृष्टि का पालन करने की खुली छूट होती है लेकिन कई दिनों से इस बात पर बहस चल रही है कि भारत में डिजिटल कंटेंट के सेंसरशिप होने की भी सम्भावना है।
हालांकि, फिल्ममेकर विक्रमादित्य मोटवाने इस विचार से बिलकुल भी खुश नहीं हैं। उन्होंने IANS को बताया-“सेंसरशिप एक बेवकूफ चीज है। प्रमाणीकरण होना चाहिए, और सेंसरशिप नहीं। लोग यह समझने के लिए काफी समझदार हैं कि अगर कोई फिल्म बच्चों के लिए है, तो बच्चे इसे देखेंगे और अगर यह फिल्म वयस्कों के लिए है, तो केवल वयस्क ही इसे देखेंगे। मुझे आज तक समझ नहीं आया कि हम वयस्क फिल्मों को सेंसर क्यों करते हैं। अगर 18 वर्ष से अधिक का कोई व्यक्ति शादी कर सकता है, बच्चे पैदा कर सकता है और कार चला सकता है, तो वह फिल्म क्यों नहीं देख सकता है?”
मोटवाने नेटफ्लिक्स की लोकप्रिय सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स‘ के निर्देशक हैं जो पहले ही अपनी नग्नता, हिंसा और भाषा के चलते विवादों का शिकार बन चूका है।
उन्होंने आगे कहा-“यह सुझाव देने के लिए एक प्रमाणन प्रक्रिया होनी चाहिए कि क्या कोई विशेष फिल्म 12 साल के बच्चों, 15 साल के बच्चों या 18 साल के बच्चों के लिए उपयुक्त है। मुझे लगता है कि इंटरनेट के लिए भी यही बात लागू होती है। प्रत्येक एपिसोड में शुरुआत में एक चेतावनी होती है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि यह केवल 18 साल और उससे अधिक के देखने के लिए है। यदि आप एक अभिभावक के रूप में गैर जिम्मेदार हैं और यह नहीं जानते कि आपके बच्चे क्या देख रहे हैं, तो यह आपकी समस्या है। यह हर रचनाकार का कर्तव्य नहीं है कि वह हर शो को इस तरह से बनाए कि छह साल का व्यक्ति उसे देख सके। मुझे लगता है कि हम अपने कंटेंट के मामले में शो के साथ बहुत जिम्मेदार हैं।”
मोटवाने ने ‘सेक्रेड गेम्स 2’ का सह-निर्देशन नहीं किया जैसे पहले सीजन में अनुराग कश्यप के साथ किया था। वह इस सीजन के शोरनर है। दूसरा सीजन नेटफ्लिक्स पर 15 अगस्त से प्रसारित होगा जिसका निर्देशन अनुराग कश्यप और नीरज घायवान ने मिलकर किया है।