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    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल इस सप्ताह के अंत में अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डी सी के दौरे पर जाएँगे। एनएसए अजित डोवाल का यह दौरा इस लिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकी अगले महीने की शुरुवात में भारत रूस शिखर वार्ता में हिस्सा लेने रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर आनेवाले हैं।

    आपको बतादे, भारत, रशिया से एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने वाला हैं और इस पर राष्ट्रपति पुतिन, नयी दिल्ली में पीएम मोदी समेत मुहर लगा सकते हैं। इस मिसाइल डील पर अमेरिका अपनी नाराजगी खुल कर जाहिर कर चूका हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, ट्रम्प प्रशासन की प्रश्नों का समाधान करेंगे।

    भारत-रशिया वार्षिक शिखर वार्ता में हिस्सा लेने रुसी अध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन, अगले महीने के 4 और 5 तारीख को भारत के दौरे पर नयी दिल्ली आएँगे। पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच अच्छे संबंध हैं।

    नयी दिल्ली और वाशिंगटन के आधिकारियों द्वारा इस बात की पुष्टि की गयी हैं की, एनएसए अजित डोवाल अपने अमेरिकन समकक्ष जॉन बोल्टन और अमेरिकन स्टेट डिपार्टमेंट के आला अधिकारीयों से बातचीत करेंगे। स्टेट डिपार्टमेंट के साथ होनेवाली चर्चा में काटसा डील के विषय चर्चा हो सकती हैं। नयी दिल्ली में पिछले दिनों हुयी 2+2 वार्ता में चर्चा नहीं हुयी थी।

    काटसा एक अमेरिकन कानून हैं, जिसके अंतर्गत अमेरिकन हितों के विरोध में की जानेवाली गतिविधियों के उपाय में सम्बंधित देश पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाते हैं। भारत-अमेरिका के सैन्य संबंध पुराने और घनिष्ट हैं, लेकिन दूसरी ओर भारत पूर्व सोवियत यूनियन से और अब रशिया से सैन्य उपकरण खरीदता रहा हैं। अमेरिका और रशिया के रिश्तों में बढता तनाव और भारत का रशिया से मिसाइल प्रणाली को ख़रीदा जाना इसके बुरे परिणाम भी हो सकते हैं। अजित डोवाल, प्रयत्न करेंगे की काटसा के संदर्भ में भारत को छुट मिलें।

    अगर, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, भारत को काटसा के विषय में छुट नहीं देते हैं, तब भारत समेत लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, रेथिओन जैसी कंपनियों पर भी निर्बंध लगाए जाएंगे क्योंकि यह कम्पनीयां भारत को सी-17,सी-130जे, अपाचे और चीचनूक हेलिकॉप्टर को जरुरी उपकरण मुहैया करते हैं।

    काटसा के साथ, पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बारें में चर्चा होने की उम्मीद हैं। अमेरिका, अफगानिस्तान में शांति बनाए रखने के लिए तालिबान से चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन पाकिस्तान नहीं चाहता की अफगानिस्तान में शांति रहें।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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