जैसे-जैसे गर्मी की छुट्टियाँ नजदीक आने लगती हैं, वैसे-वैसे लोग अपनी घुमने की प्लानिंग शुरू कर देते हैं। क्योंकि हर आदमी यही सोचता है कि हमारी छुट्टियाँ कुछ इस तरह बीते कि जिंदगी भर याद रहे।
छुट्टी मनाते समय आपको कहीं कोई दिक्कत न हो इसलिए पर्यटन स्थल से लेकर, बजट तक हर चीज की खोजबीन करते हैं। लेकिन किसी विश्वासपात्र स्त्रोत से जानकारी इकट्टा करने में आपको दिक्कत होती है।
इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे पर्यटन स्थल के बारे में जो विश्व प्रसिद्ध तो है ही साथ ही साथ जिसका बजट भी मध्यम स्तर का है। जहाँ पहुँचकर आपको एक अलग ही दुनिया में होने की अनुभूति होगी। उस स्थल का नाम है, बनारस या वाराणसी।
विश्व के प्राचीनतम शहरों में से एक वाराणसी वास्तव में आपको वो हर मौका देता है जिससे आप अपने हॉलिडे को शानदार, जानदार और यादगार बना सकें।
वाराणसी के मुख्य पर्यटन स्थल निम्न हैं:
1. दशाश्वमेध घाट
वाराणसी आने वाले ज्यातर तीर्थ यात्रियों और सैलानियों का स्वागत सबसे पहले इसी घाट के द्वारा होता है। वाराणसी के सबसे प्राचीनतम घाटों में से एक ये घाट काफी महत्वपूर्ण है।
आप चाहे काशी विश्वनाथ के दर्शन को आये हों, या सिर्फ नहाने या विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती देखने, यहाँ आकर सारे काम किए जा सकते हैं। आप यहाँ सुबह, दोपहर, शाम कभी भी आ सकते हैं लेकिन अगर आप शाम को पहुँचेंगे तो विश्वप्रसिद्ध आरती देखकर आपका मन गदगद हो जाएगा।
2. काशी विश्वनाथ मंदिर
अगर आप वाराणसी जाएं और काशी विश्वनाथ मंदिर न जाए, तो आपकी यात्रा अधूरी रह जाएगी। क्योंकि यही वो मुख्य मंदिर है जहाँ 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग यहाँ भी स्थापित है।
लगभग 200 साल पुराने इस मंदिर परिसर में सुरक्षा कारणों की वजह से आप जल, माला-फूल व पैसों के अलावा कोई अन्य वस्तु अपने साथ नही ले जा सकते। मंदिर से कुछ निश्चित दूरी से पहले ही आपको अपना सारा सामान एक बैग में डालकर किसी दुकान पर ऱखना पड़ेगा या किसी पहचान वाले को देकर जाना पड़ेगा।
3. संकट मोचन मंदिर
अगर हम मंदिरों की बात करें तो काशी विश्वनाथ के बाद संकट मोचन मंदिर का नाम ही आता है। कहा जाता है कि इस मंदिर को रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने वाराणसी प्रवास के दौरान बनवाया था।
इस मंदिर में स्थापित मूर्ति को देखकर ऐसा लगता है जैसे साक्षात् हनुमान जी विराजमान हैं। य़हाँ पर सुबह के 4 बजे और रात के 9 बजे आरती होती है। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर हनुमान चालिसा से गूँज उठता है।
आरती में शामिल होना अपने आप में एक सौभाग्य की बात होती है। यहाँ पर बंदरों की काफी संख्या निवास करती है तो अपने खाने-पीने के सामानों को बचा कर रखें। अगर आपकी कोई चीज बंदरों के हाँथ लग जाए तो उनसे छीना झपटी न करें।
4. अस्सी घाट
अगर आप बनारस के बारे में थोड़ा भी जानते होंगे तो अस्सी घाट का नाम जरूर सुना होगा। यह वही घाट है जहां पर बैठकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी।
इसी घाट से गंगा के किनारे बसे सैकड़ों घाटों की शुरुआत होती है। श्रद्धालु अक्सर यहां पर स्नान करने के बाद घाट पर ही एक पेड़ के नीचे स्थित शिवलिंग की पूजा करते हैं।
अगर आप अस्सी घाट को यादगार बनाना चाहते हैं, तो हम यही कहेंगे कि आप सुबह के 5:00 बजे तक अस्सी घाट पहुंच जाएं। क्योंकि अस्सी घाट पर होने वाली सुबह की आरती ठीक 5:30 बजे शुरू हो जाती है। आरती खत्म होने के बाद वहां आप योग शिविर में भाग लेकर अपने शरीर को स्वस्थ रखने के गुर सीख सकते हैं।
5. रामनगर किला
आप अस्सी घाट चाहे जब भी जाएं, पर सिर्फ अस्सी घाट घूम कर वापस ना आए। बल्कि वहां के नाव वालों से अस्सी घाट के ठीक सामने गंगा नदी के उस पार स्थित रामनगर किला चलने को कहें।
17 वीं शताब्दी में बना यह किला लगभग 400 सालों तक वाराणसी राजशाही महल रहा है। हालांकि इतने सालों में काफी कुछ टूट-फूट गया है। लेकिन ये किला अभी भी आप को एक अलग अंदाज प्रस्तुत करेगा। आपको वहां इतिहास से जुड़े तमाम पहलुओं को दर्शाती चित्रों की प्रदर्शनी दिखेगी, जो कि अपने आप में काफी कुछ समेटे हुए होगी।
आपको बता दें कि यहां बेल्जियम के महाराजा भी अपनी महारानी के साथ आ चुके हैं। किले का दरबार हॉल अब संग्रहालय में बदल दिया गया है, जिसमें इतिहास से जुड़ी कई सारी चीजें आपको देखने को मिल जाएंगी।
6. कथवाला मंदिर (नेपाली मंदिर)
गंगा किनारे स्थित यह मंदिर अपने काष्ठकला पर आधारित वास्तुकला यानी संरचना के लिए जाना जाता है। काली-काली लकड़ियों में उकेरी गई नक्काशी आपको खास आकर्षित करेगी। ललिता घाट पर बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसे नेपाल के राजा ने बनवाया था। इसलिए इसे नेपाली मंदिर भी कहते हैं।
7. मणिकर्णिका घाट
आप ललिता घाट से नेपाली मंदिर को देखते हुए गंगा का छोर पकड़े आगे बढ़ेंगे तो एक और महत्वपूर्ण घाट मिलेगा, जिसका नाम है मणिकर्णिका घाट। ये मुख्य रूप से मुर्दों के दाह संस्कार का घाट है। घाट पर 24 घंटे चिताएँ चलती रहती है। यह माना जाता है कि यहां दाह संस्कार किये जाने वाले लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अभी तक आपने वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर के आसपास के स्थानों को जाना है अब थोड़ा बाहर निकलिए।
8. सारनाथ
दशाश्वमेध घाट से थोड़ी ही दूर पर स्थित है, सारनाथ। एक यह भी विश्व विख्यात स्थल है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध 528 ईसापूर्व में यहां आए थे और पहली बार यही पर ही उन्होंने अपने 5 शिष्यों को ज्ञान दिया था।
यहाँ आकर आपको एक अलग ही प्रकार का वातावरण और शांति देखने को मिलेगी। कभी शिक्षा का एक बड़ा केंद्र रह चुके इस स्थान पर चीनी यात्री फाह्यान भी आ चुका है, जिसके बारे में उसने अपने कई किताबों में जिक्र किया है। अब यहां पर आपको मुख्य स्मारक के रूप में एक स्तूप देखने को मिलेगा, जिसका नाम है धमेख।
इसके अलावा आपको एक और स्तूप मिलेगा, जिसका नाम है धर्मराजिका स्तूप। जिसको सम्राट अशोक ने बनवाया था। यहां पर आपको बौद्ध धर्म को नजदीक से देखने समझने का मौका मिलेगा। इसके अलावा अशोक स्तंभ हिरणों का एक पार्क और पुरातत्व विभाग का संग्रहालय मुख्य आकर्षण के केंद्र हैं।
9. नया विश्वनाथ मंदिर
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर में बने इस मंदिर को देखना आपके लिए एक नया अनुभव हो सकता है। यह मंदिर भारत के मशहूर उद्यमी बिरला परिवार के द्वारा बनवाया गया है। इस मंदिर को देखना आपके लिए विशेष अनुभव इसलिए भी होगा क्योंकि ये कुल मिलाकर 7 मंदिरों का समावेशी रूप है।
इस मंदिर में प्रथम तल पर शिव जी जबकि द्वितीय तल पर दुर्गा जी और लक्ष्मी नारायण की मूर्ति स्थापित की गई है। दरअसल इस मंदिर की संरचना का आधार पुराना विश्वनाथ मंदिर ही है। इसलिए इसे नया विश्वनाथ मंदिर के नाम से जानते हैं।
10. दुर्गा मंदिर
दुर्गा मंदिर बनारस का एक महत्वपूर्ण मंदिर है। देवी दुर्गा समर्पित इस मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालु हर रोज पहुंचते हैं। चूँकि यहाँ पर अत्यधिक मात्रा में बंदर पाए जाते हैं इसलिए इसे बंदरों की मंदिर भी कहा जाता है।
यहाँ एक बात हमेशा ध्यान रखने लायक है कि अगर आप हिंदू के अलावा किसी दूसरे धर्म से हैं, तो बंगाली महारानी द्वारा बनवाए गए इस मन्दिर के परिसर तक तो जा सकते हैं लेकिन उसके आगे जाने की अनुमति नही है।
क्या-क्या करना न भूलें:
1. नौका विहार- आप चाहे किसी भी महीने या समय में बनारस जाएं, वहां पर नौका विहार का लुफ्त जरूर उठाएं। ये आपको बेहद अच्छा लगेगा। अगर यह सुबह या शाम का समय हो तो सोने पर सुहागा होगा। आप अस्सी घाट से लेकर मणिकर्णिका घाट तक नौका विहार कर सकते हैं। आपको अगर नाव पकड़नी है तो आप दशाश्वमेध घाट और असी घाट समेत सभी महत्वपूर्ण घाटों से पकड़ सकते हैं।
2. गंगा आरती- आप बनारस में है और गंगा आरती में शामिल ना हो तो ऐसा मुश्किल ही है। वैसे गंगा आरती तो कई घाटो पर होती है लेकिन दशाश्वमेध घाट पर शाम को करीब 6:30 बजे होने वाली विश्व प्रसिद्ध आरती बेहद भव्य और सुकून देने वाली होती है। हर रोज लगभग 20 हज़ार लोग उस घाट पर एकत्रित होते हैं। इसके अलावा अस्सी घाट पर हर रोज सुबह के 5.30 पर होने वाली आरती भी काफी शानदार होती है।
3. स्थानीय बाजारों में खरीददारी- यहाँ पर बाजारों का अच्छा अनुभव आपको मिल सकता है। यहाँ की गालियाँ में भले ही थोड़ी संकरी हो, लेकिन बाजार हमेशा गुलजार रहते हैं। इन गलियों में विश्वनाथ गली, ठठेरी बाजार, दशाश्वमेध घाट गली और लहुराबीर गली आदि प्रमुख है। जिसमें गुदौलिया, लहुराबीर और चौक बनारसी साड़ियों के लिए मशहूर है, वहीं ठठेरी बाजार पेंटिंग और दूसरी कलाकृतियों के लिए मशहूर है।
4. बनारसी पान- बनारसी पान के प्रसिद्धि के बारे में तो आप सभी जानते होंगे। तो, कभी भी बनारस जाएं तो वहां के पान खाने का मजा एक बार अवश्य लें।
कैसे पहुँचें?
अगर आप वायु मार्ग द्वारा आना चाहते हैं तो वाराणसी का लाल बहादुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा देश के विभिन्न प्रमुख हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है।
अगर आप रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो वाराणसी सिटी स्टेशन और मंडुआडीह नजदीकतम रेलवे स्टेशन हैं जो देश के विभिन्न स्टेशनों से जुड़े हैं।
अगर आप बस या अपनी स्वयं की गाड़ी से आना चाहते हैं तो भी आप आ सकते हैं।
बनारस के आसपास दर्शनीय स्थल के नाम बताइए?