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    बिहार की राजधानी पटना में सरकार के कई उपायों के बाद भी वायु प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। देश में खतरनाक वायु प्रदूषण की श्रेणी वाले शहरों में पटना लगातार बना हुआ है। बिहार सरकार ने हालांकि हवा में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, परंतु इसके बावजूद स्थिति में बहुत सुधार नहीं देखा जा रहा है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के मुताबिक, ठंड के मौसम के शुरुआत यानी अक्टूबर से ही यह स्थिति बनी हुई है। 17 अक्टूबर को पटना का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 250 से ऊपर हो गया था।

    हाल ही में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी देश के 103 शहरों के वायु गुणवत्ता सूचकांक में पटना खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया है। कहा जा रहा है कि यहां की हवा जहरीली हो गई है। मुजफ्फरपुर और गया की हवा भी खराब पाई गई है।

    आंकड़ों पर गौर करें तो पटना का एक नवंबर को एक्यूआई 374 था, जबकि इसके एक दिन बाद यानी दो नवंबर को यह 420 तक पहुंच गया था। इसके एक दिन बाद यहां का एक्यूआई का स्तर 414 था।

    इस साल 10 नवंबर को पटना का एक्यूआई 221 दर्ज किया गया था, परंतु इसके बाद यह लगातार ऊपर ही बना हुआ है। 17 नवंबर को यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 317 और 18 नवंबर को 323 दर्ज किया गया था।

    बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष डॉ़ ए़ क़े घोष भी मानते हैं कि ठंड के मौसम में गर्म हवा ऊपर और ठंडी हवा नीचे आ जाती है। नमी के कारण ये हवाएं धूलकणों को अपने में समेट लेती हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक प्रदूषण पुराने वाहनों से होता है।

    इस बीच सरकार ने 15 साल से ज्यादा पुराने व्यवसायिक और सरकारी वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया है। साथ ही 15 साल से पुराने निजी वाहनों की फिटनेस की जांच फिर से कराई जा रही है।

    पटना शहर के आसपास के ईंट भट्ठों की जांच के साथ-साथ जहां निर्माण का काम चल रहा है, वहां के लिए गाइडलाइन जारी की गई है।

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