लोकसभा को बुधवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया था। अध्यक्ष ओम बिरला ने बार-बार हुए व्यवधानों पर दुख व्यक्त किया जिसकी वजह से मानसून सत्र में केवल 21 घंटे का कामकाज ही हुआ और सदन की उत्पादकता 22% ही रह पायी। 19 जुलाई को चल रहे सत्र को 13 अगस्त की निर्धारित तिथि से दो दिन पहले स्थगित कर दिया गया क्योंकि विपक्ष ने पेगासस जासूसी विवाद, कृषि कानूनों और अन्य मुद्दों पर विरोध किया जिससे संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी।
शून्यकाल – महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए व्यक्तिगत सदस्यों को आवंटित समय – सबसे अधिक प्रभावित हुआ और प्रश्नकाल भी अधिकांश दिनों में बाधित रहा।
वहीं सदन 20 विधेयकों को पारित करने में सफल रहा जिनमें से ज्यादातर बिना किसी बहस या विपक्ष की भागीदारी के पास हुए। हालांकि संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 एक अपवाद रहा। यह विधेयक राज्यों को अपनी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूची बनाने की शक्ति को बहाल करने के लिए था जिसे सभी दलों की व्यापक बहस के बाद पारित किया गया था।
जब सदन अनिश्चित काल के लिए स्थगित हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी सदन में मौजूद थे।
सदन को स्थगित करने के तुरंत बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने प्रधान मंत्री मोदी, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और के सुरेश, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और डीएमके के टीआर बालू द्रविड़ सहित सभी वरिष्ठ नेताओं के लिए एक चाय पार्टी की मेजबानी की। एक सूत्र ने कहा कि श्री बिड़ला ने सभी नेताओं से सदन के बेहतर कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए सहयोग करने का आग्रह किया।
बाद में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने सदन की 17 बैठकें बार-बार बाधित होने पर नाराजगी व्यक्त की। कामकाज के लिए आवंटित 96 घंटों में से केवल 21 घंटे 14 मिनट का ही उपयोग किया जा सका।
उन्होंने कहा कि, ‘सदन 74 घंटे 46 मिनट तक नहीं चल पाया। कुल उत्पादकता 22% ही रही। मैं इस बात से आहत हूं कि सदन की कार्यवाही इस सत्र में अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुई। मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि सदन में ज्यादा से ज्यादा कामकाज हो और जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो। उन्होंने कहा कि पिछले सत्रों में अच्छी उत्पादकता देखी गई थी।