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    लोकसभा में आखिरकार सोमवार की आधी रात के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक पारित कर दिया। जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। जो  वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे थे।

    सात घंटे की लंबी बहस के बाद, नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 लोकसभा में पारित किया गया। जिसमें 311 सदस्य इसके पक्ष में थे और इसके खिलाफ 80 मतदान हुए थे।

    शिवसेना सांसद समेत विपक्षी सदस्यों द्वारा लाए गए कई संशोधनों को ध्वनि मत से या एक विभाजन द्वारा पराजित किया गया था।

    प्रस्तावित कानून के अनुसार, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के सदस्य, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक आए हैं, और वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, उन्हें अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा। उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून भारत के सदियों पुराने अस्मिताओं और मानवीय मूल्यों में विश्वास के अनुरूप है।

    प्रधानमंत्री ट्विट करते हुए लिखा कि “प्रसन्नता है कि लोकसभा ने एक समृद्ध और व्यापक बहस के बाद नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया है। मैं उन विभिन्न सांसदों और पार्टियों का धन्यवाद करता हूं जिन्होंने इस विधेयक का समर्थन किया। यह विधेयक भारत के सदियों पुराने अस्मिता और मानवीय मूल्यों के विश्वास के अनुरूप है।

    वहीं दूसरी तरफ सीपीआई (एम) के नेता सीताराम येचुरी ने विधेयक के विरोध में ट्विट करते हुए लिखा कि, “हम जिन्ना और सावरकर के सपनों के इस बिल को अस्वीकार करते हैं। यह असंवैधानिक है, और हमारे लोगों को विभाजित करता है। हम सभी संभावित मंचों पर इसके खिलाफ लड़ते रहेंगे।”

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