पांच राज्यों में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में हार के बाद भाजपा को अपने सहयोगियों से असंतोष और हताशा का सामना करना पड़ रहा है।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने हाल ही में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे के मुद्दे पर असहमति के बाद एनडीए से नाता तोड़ लिया भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अलग हो कर महागठबंधन के साथ जाने का फैसला कर लिया। महागठबंधन में पहले से ही कांग्रेस और अन्य पार्टियाँ शामिल है।
नाराजगी हालाँकि लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान को भी थी लेकिन भाजपा ने लोजपा को मना लिया।
2019 के लिए पार्टी की चुनावी तैयारियों का जिक्र करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता राम माधव ने कहा “हमने बिहार में सहयोगी दलों के साथ पिछले सप्ताह ही सीटों का बंटवारा कर लिया है। ये सच है कि हमने छोटे सहयोगी रालोसपा को खो दिया लेकिन हमने एक बड़ा सहयोगी जदयू को पाया।”
पार्टी के महासचिव ने कहा “लेकिन हमें दक्षिण भारत और पूर्वी भारत में नए सहयोगी भी मिल रहे हैं। यह ऐसा कुछ है जो चुनाव से पहले होता है और यह कोई नई बात नहीं है।”
उनकी टिप्पणी एनडीए में भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) और ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) द्वारा पार्टी पर दबाव बढ़ाने के बाद आई है। दोनों दलों ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेतृत्व अपने सहयोगियों को उचित सम्मान और उचित हिस्सा नहीं दे रहा है। उत्तर प्रदेश में अपना दल के दो सांसद हैं, जिनमें से एक अनुप्रिया पटेल हैं, जो केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं।
बीजेपी पूरे साल सहयोगियों की नाराजगी से त्रस्त रही है। मार्च में, चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने आंध्र प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा देने के केंद्र के इनकार से एनडीए के साथ अपने चार साल पुराने गठबंधन को समाप्त कर दिया था।