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    लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा

    मल्टी-मोडल, लॉजिस्टिक्स पार्क तथा वेयर हाउसिंग जैसी सुविधाओं के लिए सरकार ने लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दे दिया है। अब इस उद्योग को सस्ता कर्ज मिलने में भी आसानी होगी। विशेषज्ञों के अनुसार लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए ​मिलने वाले कर्ज के ब्याज दर पर 50 फीसदी की कमी हो सकती है।

    विशेषज्ञों का कहना है कि इससे ब्लू डार्ट, स्नोमैन लॉजिस्टिक्स, ऑलकार्गो लॉजिस्टिक्स, डीटीडीसी लिमिटेड, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, नवकार कॉर्पोरेशन, ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और डीएचएल जैसी कंपनियों को विशेष फायदा मिल सकता है।
    लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए सरकार ने इसी महीने की शुरूआत में बिनॉय कुमार को लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर का विशेष सचिव नियुक्त किया है।

    वित्त मंत्रालय के एक बयान के अनुसार 10 नवंबर को आयोजित बैठक में लॉजिस्टिक्स को इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में शामिल करने का निर्णय लिया गया। सरकार ने लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर को परिभाषित करते हुए कहा है कि कम से कम 50 करोड़ रूपए निवेश वाले और न्यूनतम 10 एकड़ जमीन वाले मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स पार्कों को ही इन्फ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया गया है। इसमें इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) शामिल है।

    इसके अतिरिक्त न्यूनतम 15 करोड़ रूपए के निवेश और 20,000 वर्ग फुट वाली कोल्ड चेन तथा न्यूनतम 25 करोड़ रूपए निवेश तथा एक लाख वर्ग फुट एरिया वाले वेयरहाउसेज को ही इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में रखा जाएगा। वित्त मंत्रालय ने बयान दिया है कि लॉजिस्टिक्स के विकास से घरेलू तथा निर्यात दोनों मार्केट में तेजी देखने को मिलेगी।

    विकसित देशों की तुलना में लॉजिस्टिक्स कॉस्ट भारत में बहुत ​अधिक है। ऐसे में भारत में लॉजिस्टिक्स सेक्टर के विकास की आवश्यकता महसूस की जा रही है। साल 2017 में विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) के तहत भारत का लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस 54 से 35 फीसदी तक बढ़ी है। सरकार को उम्मीद है कि भारतीय लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की ग्रोथ 115 अरब डॉलर से बढ़कर 2032 तक 360 अरब डॉलर हो जानी चाहिए।

    सड़क मंत्रालय भारत में लगभग 35 मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क विकसित करने की योजना बना रहा है, जो 50 फीसदी माल भाड़े की पूर्ति करेगा। ऐसे में परिवहन लागत में कुल 10 फीसदी तथा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में भी 12 फीसदी की कमी आएगी।  सीसीआई लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के दीपल शाह के मुताबिक सरकार के इस फैसले से इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तथा लॉजिस्टिक्स एक चमचमाते उद्योग में परिवर्तित हो जाएगा।

    शाह ने कहा कि इससे मल्डीमोड पार्क, वेयर हाउसेज तथा परिवहन क्षेत्र में निवेश की बढ़ोतरी होगी।  ट्रांसपोर्ट एंड लॉजिस्टिक्स क्षेत्र से जुड़े तथा क्रिसिल इंफ्रा एडवाइजरी के डायरेक्टर जगन्नाथ पद्मनाभन का भी कहना है कि लॉजिस्टिक्स के परफॉर्मेंस तथा मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्कों से विकास को एक नई गति मिलेगी।

    पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी 211 करोड़ रूपए की लागत से मल्टी मोड टर्मिनल बनाया जा रहा है। यह मल्टी मोड टर्मिनल 4,200 करोड़ रुपये की जल मार्ग विकास परियोजना का हिस्सा है, जिसके तहत 1,500 से 2,000 टन वाले जहाज वाराणसी से हल्दिया तक माल की ढुलाई करेंगे।

    लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को इन्फ्रास्ट्रक्चर में लाने के फायदे

    भारत में लॉजिस्टिक्स पर सकल घरेलू उत्पाद का कुल 13 फीसदी खर्च होता है, जबकि यही खर्च विकसित देशों में मात्र 10 फीसदी है। पहले लॉजिस्टिक्स कॉस्ट ज्यादा थी जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हमारे उत्पाद कम प्रतिस्पर्धा कर पाते थे, अब ऐसा देखने को​ नहीं मिलेगा। जीएसटी रेटिंग के बाद बड़े वेयर हाउसों के प्रारूप देखने को मिलेंगे, यही नहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर उद्योग में सकारात्मक बढ़ावा देखने को मिलेगा। लॉजिस्टिक्स को इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में लाने से देश में बड़े वेयर हाउसों का निर्माण होगा। बड़े वेयर हाउस बनने से लॉजिस्टिक्स की कीमतें घटेंगी।