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    लेखक नयनतारा सहगल का नाम साहित्य सम्मलेन से हटाने पर राज ठाकरे ने मांगी मांफी

    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा है कि उनकी पार्टी को प्रसिद्ध लेखक नयनतारा सहगल के इस हफ्ते होने वाले साहित्य सम्मलेन में आमंत्रित होने पर कोई आप्पति नहीं है और साथ ही उनसे किसी असुविधा और तनाव के लिए मांफी मांगी। लेखक को निमंत्रण वापस लेने का निर्णय तब लिया गया जब किसी पार्टी कार्यकर्त्ता ने सम्मलेन को बंद करने की धमकी दी।

    ठाकरे ने कहा-“जब उनकी मौजूदगी में, हमारी संस्कृति और परंपरा निखर कर आती है तो ये दुनिया के सामने हमारी संस्कृति दर्शाने का माध्यम बन सकता है। हमें नयनतारा सहगल से कोई आप्पति नहीं है और हम पूरे मन से उनका स्वागत करते हैं।” उन्होंने आगे बताया कि उनके किसी पार्टी के सदस्य ने उनकी मौजूदगी पर आप्पति जताई थी और वे शर्मिंदा हैं कि ऐसे साहित्यिक सम्मलेन के समर्थकों को तनाव पहुँचा।

    सहगल, यवतमाल जिले में 11 जनवरी को होने वाले अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मलेन के 92वे संस्करण का अनावरण करने वाली थी। मगर धमकी मिलने के बाद, ये निमंत्रण वापस ले लिया गया।

    वह 2015 में बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा “अवार्ड वापसी (पुरस्कार की वापसी)” अभियान में सबसे आगे थी। साहित्य सम्मलेन के आयोजकों ने किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए, उनका नाम इस सम्मलेन से हटाने का फैसला लिया था। विपक्ष और लेखकों ने उनका नाम हटाने के फैसले की निंदा की।

    इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट किया-“जो महाराष्ट्र एक 91 साल की औरत के शब्दों से डरता है, वे गोडसे और उनके गुरु का महाराष्ट्र है, आंबेडकर, फुले, गोखले और तिलक का महाराष्ट्र नहीं।”

    मुंबई कांग्रेस प्रमुख संजय निरुपम ने भी इलज़ाम लगाते हुए कहा कि ये फैसला भाजपा के इशारे पर लिया गया है। साहित्य को राजनीती के आगे आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए। अगर सरकार को लेखकों से डर लग रहा है मतलब उनके दिन अब खत्म हो गए हैं।

    हालांकि राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री विनोद तावड़े ने कहा है कि राज्य सबका स्वागत करता है।

    प्रसिद्ध लेखक अरुणा धेरे जो इस सम्मलेन में हिस्सा लेंगी उन्होंने भी आयोजकों की निंदा की है। मराठी लेखक संजय अवते ने कहा है कि वे इस साहित्य सम्मलेन को विरोध प्रदर्शन के रूप में बहिष्कार कर देंगे।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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