अफ्रीका के नेताओं ने लीबिया के संघर्ष तो तत्काल और बगैर शर्त रोकने की मांग की है। उन्होंने यह मांग मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फ़त्ताह अल सीसी के नेतृत्व में काइरो में सम्मेलन के दौरान कही थी। वह अफ्रीकी संघ के मौजूदा अध्यक्ष है।
एयू में फ़त्ताह अल सीसी और उनके रवांडा के समकक्षी और अफ्रीकी समकक्षी शामिल थे। उन सभी ने आग्रह किया कि “सभी पक्ष संयमता से कार्य करे और मानवीय सहायता का वितरण होने दे।” 4 अप्रैल को हफ्तार ने अपनी सेना को राजधानी पर नियंत्रण के लिए आक्रमण के आदेश दिए थे।
तानाशाह मुअम्मर अल गद्दाफी की मौत के बाद लीबिया दो हिस्सों में बंट गया था। एलएनए समर्थित सरकार का पूर्वी लीबिया पर नियंत्रण है वहीं यूएन समर्थित सरकार गवर्मेंट ऑफ़ नेशनल एकॉर्ड का पश्चिमी क्षेत्रों पर आधिपत्य है जिसमे राजधानी भी शामिल है।
व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप और जनरल हफ्तार ने “लीबिया को एक स्थिर, लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली में परिवर्तित करने के लिए एक साझा दृष्टिकोण पर चर्चा की।” जनरल हफ्तार के विपक्षियों के मुताबिक, वे देश पर तानाशाह की तरह हुकूमत करेंगे। लीबिया में संघर्षविराम के ब्रिटेन के यूएन में प्रस्तावित मसौदे को रूस सहित अमेरिका ने भी ख़ारिज कर दिया था।
यूएन के आंकड़ों के मुताबिक लीनिया में संघर्ष के दौरान राजधानी त्रिपोली में संघर्ष की शुरुआत के बाद 205 लोगो की मृत्यु हो चुकी है और 913 अभी भी घायल है।
भारत ने भी अपने नागरिकों को देश वापस आने की सलाह दी है और जरुरत के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किये हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्वीट में कहा कि “भारतीय नागरिकों की दूतावास हर संभव सहायता करेगा। त्रिपोली में भारतीय नागरिकों को अधिक सावधान रहने की सलाह दी जाती है। दूतावास हर संभव मदद करेगा। दूतावास का हेल्पलाइन नंबर: 00218 924201771 हैं।”