लीबिया की राजधानी त्रिपोली मे संघर्ष के बढ़ते माहौल को देखते हुए अमेरिका ने रविवार को अपने सैनिकों को वहां से हटा लिया है। अमेरिकी अफ्रीका कमांड के अधिकारी मरीन कॉर्प्स जनरल थॉमस वाल्डहाउसर ने कहा कि “लीबिया की सरकामिन पर सुरक्षा हालातो की असलियत अब जटिलता से बढ़ती जा रही है। सेना के सामंजस्य में, हम मौजूदा अमेरिकी रणनीति का चुस्ती से समर्थन करना जारी रखेंगे।”
भारत-अमेरिका ने सेना को हटाया
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, आतंक रोधी गतिविधियों को सैन्य समर्थन मुहैया करने वाली अमेरिकी सेना का कूटनीतिक अभियान और व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ते संघर्ष के कारण फौरी तौर पर लिया से विस्थापित कर दिया गया है।
लीबिया के हालात काफी अधिक खराब होने के बाद भारत ने भी त्रिपोली में तैनात 15 सीआरपीएफ के पीसकीपिंग सैनिकों को वहां से हटा दिया है।
The situation in Libya has suddenly worsened. There is fighting in Tripoli. Indian Embassy in Tunisia @IndiainTunisia has evacuated the entire contingent of 15 CRPF personnel yesterday itself. I appreciate the excellent work by Indian Embassy in Tunisia. #Libya
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) April 7, 2019
भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि “लीबिया के हालात अचानक खराब हो गए हैं। त्रिपोली में संघर्ष जारी है। टुनिशिया में भारत के दूतावास ने बीते कल सभी सीआरपीएफ के 15 जवानो को वहां से हटा लिया है। मैं टुनिशिया में भारतीय दूतावास के उत्तम कार्य की सराहना करती हूँ।”
त्रिपोली पर नियंत्रण के लिए संघर्ष
लीबिया के तानाशाह मुहम्मद गद्दाफी की मौत के बाद से इस राष्ट्र में संघर्ष जारी है। फील्ड मार्शल जनरल खलीफा हफ्तार का मकसद त्रिपोली पर अपना नियंत्रण करना है। लीबियन नेशनल आर्मी ने दावा किया कि उन्होंने त्रिपोली के कई भागो पर अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार को बेदखल करने के लिए और त्रिपोली पर नियंत्रण के लिए कई भागो पर हवाई हमले किये हैं।
लीबिया में संयुक्त राष्ट्र अभियान ने त्रिपोली में शाम 4 बजे से 6 बजे तक मानवीय सैनिको की मांग की है। अगर विद्रोही सेना आक्रमण करे तो जख्मी नागरिको को तत्काल इलाज के लिए एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाया जा सके। यूएन समर्थित सरकार ने आक्रमक जवाबी कार्रवाई करने का ऐलान किया है और हफ्तार द्वारा सभी जब्त क्षेत्रों पर दोबारा हासिल करने का संकल्प लिया है।
मकसद में कामयाब नहीं होने देंगे
रविवार को पत्रकारों के साथ बातचीत में जीएनए के प्रवक्ता कर्नल मोहमद गनौनौ ने कहा कि “आक्रमक प्रतिक्रिया का निर्णय सभी लीबिया के शहरो को आक्रमक और अवैध सेना के नियंत्रण से बाहर निकालने के लिए लिया गया है।” वर्षो के गृह संघर्षो के कारण लीबिया में अभी तक कोई एकल सरकार नहीं है। टोब्रुक आधारित संसद को एलएनए का समर्थन है जो पूर्वी लीबिया पर हुकूमत करती है जबकि जीएनए त्रिपोली के पश्चिमी भाग पर नियंत्रण करती है।
संयुक्त राष्ट्र ने बयान दिया था कि “यूएन समर्थित प्रधानमंत्री फ़ाएज़ अल सर्राज और हफ्तार ने बीते फरवरी में अबू धाबी में मुलाकात की थी जहां वे राष्ट्रिय चुनावो की महत्वता पर राज़ी हुए थे। त्रिपोली के आलावा कई तेल भण्डारो पर नियंत्रण करने के लिए लड़ाई की जा रही है, इसमें इस्लामिक स्टेट भी शामिल है जो उत्तर अफ्रीकी राष्ट्र में अपने पाँव पसार रहा है।”
त्रिपोली में हुई मुठभेड़
काफी दिनों की नोकझोक के बाद पिछले दो दिनों से लीबिया की राजधानी त्रिपोली में दोनों पक्षों में लगातार मुठभेड़ जारी है। बीबीसी के मुताबिक, अबतक इसमें 21 लोगों की मौत हो चुकी है और 27 लोग घायल हो चुके हैं।
अमेरिका के विदेश सचिव माइक पोम्पिओ नें तुरंत युद्ध रोकने के आदेश दिए हैं और दोनों पक्षों को बातचीत के लिए न्योता भेजा है।
जनरल खलीफा हफ्तार के नेत्रत्व में विद्रोहियों की सेना त्रिपोली पर कब्ज़ा करने के लिए पूर्व की ओर बढ़ रही है।
लीबिया के प्रधानमंत्री फायेज़ अल-सेराज नें जनरल पर आरोप लगाया है कि वह तक्थापलट करना चाहता है।
जनरल हफ्तार ने कहा है कि इस झड़प में उनके 14 लड़ाके मारे जा चुके हैं।
इससे पहले आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र नें अपील की थी कि दो घंटे के लिए युद्ध विराम होना चाहिए, जिससे घायलों और मृतकों को वहां से हटा लिया जाए।
अमेरिका के विदेश सचिव माइक पोम्पिओ नें एक बयान में कहा है कि वह इस घटना से काफी आहत हैं और जल्द युद्ध विराम की कोशिश कर रहे हैं।
उनके बयान ने कहा, “त्रिपोली में विद्रोही सेना आम जनता को जोखिम में डाल रही है और लीबिया के शांतिपूर्ण भविष्य को खत्म कर रही है।”
इसी बीच कई देशों नें अपने नागरिकों और सैन्य बलों को लीबिया से निकाल लिया है।