संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने शुक्रवार को लीबिया में सभी पक्षों को राजनीतिक वार्ता करने के लिए आगाह किया है और कहा कि राजधानी में एक माह के संघर्षविराम का कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहा है। त्रिपोली में मानवीय हालातो पर ब्रिटेन के साथ बंद दरवाजे के पीछे चर्चा की जा रही है।
लिबयन कमांडर खलीफा हफ्तार का देश के पूर्वी भाग पर नियंत्रण है और उन्होंने त्रिपोली पर कब्जे के लिए 4 अप्रैल को आक्रमण किया था। राजधानी पर यूएन द्वारा मान्यता प्राप्त सरकार का नियंत्रण है।
इंडोनेशिया के राजदूत डीएन दजानि ने कहा कि “त्रिपोली में स्थिरता और बिगड़ते मानवीय हालातो के प्रति परिषद् गहरी चिंता में हैं। मासूम नागरिकों की जिंदगियां खतरे में हैं और राजनीतिक समाधान पर खतरा मंडरा रहा है। परिषद् सभी पक्षों से तत्काल यूएन के राजनीतिक मध्यस्थता की तरफ लौटने की मांग करती है और मध्यस्थता की सफलता के लिए संघर्षविराम और तनाव को कम करने की दरख्वास्त की है।”
राजदूतों के मुताबिक, रूस, अमेरिका और कुवैत ने इसकी बगावत की है साथ ही साल 2011 के हथियारों के जखीरे को बरक़रार रखने की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जाहिर की थीं कि “दोनों पक्षों को नए हथियार मुहैया किये जा रहे हैं और यह हथियार समझौते का उल्लंघन है।” इसके बाद जर्मनी ने प्रतिबन्ध की मांग की थी।
यूएन राजदूत ग़स्सान सलामे हफ्तार की सेना को लीबिया की सरज़मीं को युद्धक्षेत्र में परिवर्तित न करने के मामले पर असफल साबित हुए हैं और उन्होंने दोबारा लीबिया के प्रधानमंत्री फ़ाएज़ अल सर्राज से बातचीत शुरू कर दी थी। ब्रिटेन ने बीते माह परिषद् में संघर्षविराम पर मसौदा प्रस्ताव रखने की मांग की थी हालाँकि परिषद् में इस प्रस्ताव को लेकर दो राय है।
साल 2011 में लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी की मृत्यु के बाद देश में अराजकता का माहौल बरक़रार है। हफ्तार के समर्थकों और त्रिपोली के शासन के बीच दुश्मनी का स्तर बढ़ता जा रहा है। तेल संपन्न राज्य में इस विपरीत परिस्थितियों का सामना नागरिकों को करना पड़ रहा है।