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    लीबिया में संकट

    लीबिया में खलीफा हफ्तार की सेना और यूएन समर्थित सरकार जीएनए के सैनिको के बीच संघर्ष में 390 से अधिक लोगो की मौत हो गयी है और 1900 से अधिक लोग बुरी तरह जख्मी है। यह आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संघठन ने जारी किये है। दोनों पक्षों के संघर्ष में आम नागरिकों को जूझना पड़ रहा है।

    साल 2011 में लीबिया के तानाशाह मुहम्मद गद्दाफी की मृत्यु के बाद लीबिया दो भागो में विभाजित हो गया था। लिबयन नेशनल आर्मी की संसद का पूर्वी भाग पर नियंत्रण है, जबकि यूएन की अंतरिम सरकार का राजधानी लीबिया सहित पश्चिमी भागो पर नियंत्रण है।

    हफ्तार की सेना के राजधानी की तरफ कूच करने के बाद 50000 लोगो को विस्थापित होना पड़ा है। लीबिया के प्रधानमंत्री फ़ाएज़ अल सेरराज ने गुरूवार को कहा कि “जब तक खलीफा सरकार वापस अपनी जगह पर नहीं लौट जाती किसी संघर्षविराम का ऐलान नहीं किया जायेगा।”

    लीबिया में हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। भारत, नेपाल और अमेरिका ने अपनी शान्ति स्थापित करने वाली सेना को वापस बुला लिया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तत्काल भारतीय नागरिकों को त्रिपोली छोड़ने का सुझाव दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने भारतीय नागरिकों को लीबिया में सावधानी पूर्वक रहने की सलाह दी है क्योंकि हालात अब अधिक खराब होने वाले हैं।

    इससे पूर्व विश्व स्वास्थ्य संघठन के मुताबिक, लीबिया में संघर्ष से 22 नागरिकों सहित 345 लोगो की मौत हो गयी है और 1652 लोग बुरी तरह घायल है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग ने बताया की 146 शरणार्थियों को लीबिया से इटली के लिए रवाना कर दिया गया है।

    बीते दो हफ्तों में हफ्तार की सेना ने मैदान हारा है और जीएनए की सरकार ने उन्हें खदेड़ दिया है। हारने के बाद हफ्तार की सेना ने हवाई हमले तेज़ कर दिए हैं। हालात अभी भी तनावपूर्ण है विशेषकर उन नागरिकों को लिए जो इन क्षेत्रों के नजदीक संघर्ष इलाकों में रहते हैं।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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