संयुक्त राष्ट्र ने त्रिपोली के नागरिको के बसागत वाले क्षेत्रों में गोलाबारी की चिंतित प्रक्रिया व्यक्त की है। यूएन के प्रवक्ता ने कहा कि “किसी भी मात्रा में यह पूरी तरह अस्वीकृत है।” यूएन के महासचिव एंटोनियो गुएटरेस के प्रवक्ता स्टेफेन दुजाररिक ने कहा कि “त्रिपोली के नागरिक इलाको में अंधाधुंध गोलाबारी की रिपोर्ट्स पर यूएन बेहद गंभीर रूप से चिंतित है।”
यूएन की आलोचना
उन्होंने नागरिकों की जिंदगी को सलामत रखने के मुद्दे को रेखांकित किया, मानवीय सहयोगियों की बेशर्त और तत्काल पंहुच की मांग की है। हमारे सहकर्मियों ने बताया कि त्रिपोली में निरंतर मानवीय हालात बिगड़ते जा रहे हैं क्योंकि अधिक जनसँख्या वाले क्षेत्रों में भी भारी संघर्ष जारी है।”
उन्होंने बताया कि “ढांचागत संरचना बिलकुल ध्वस्त हो चुकी है, इसके कारण विवादित क्षेत्रों में नागरिक बिजली कटौती और पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। जरुरत के पदार्थो जैसे भोजन, दवाई और ईंधन तक पंहुच दुर्लभ होती जा रही है।” यूएन माइग्रेशन एजेंसी के मुताबिक, लीबिया में संघर्ष के कारण करीब 39000 लोग विस्थापित हुए हैं।
यूएन प्रवक्ता ने बताया कि “इस सप्ताह की शुरुआत में 655 शरणार्थियों और प्रवासियों को क़स्र बिन घासीर नज़रबंद कैद केंद्र से हटाया गया था।” नॉन प्रॉफिट आर्गेनाईजेशन ‘डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ ने पिछली बार कहा था कि “वारदात के दौरान नज़रबंदी कैदियों को मारा और जख्मी किया गया था। 700 से अधिक निहत्थे पुरुष, महिलाएं और बच्चे इन केन्द्रो में फंसे हुए हैं। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई लोगो की इस हादसे में मौत हुई थी और 12 लोग जख्मी हुए थे।”
यूएन के आंकड़ों के मुताबिक, त्रिपोली के क्षेत्र में सात नज़रबंद शिविरों में 3000 से अधिक शरणार्थी और प्रवासी फंसे हुए हैं। मिलिट्री के कमांडर खलीफा हफ्तार की पूर्वी सेना और यूएन द्वारा मान्यता प्राप्त सरकार के सैनिकों के बीच भीषण संघर्ष जारी है।
6 अप्रैल को भारत ने 15 सीआरपीएफ के शान्ति स्थापित करने वाले सैनिको को त्रिपोली से हटा दिया था। इस निर्णय के बाद अन्य देशों, अमेरिका और नेपाल ने भी यही कार्य किया था। भारत ने आग्रह किया कि त्रिपोली से भारतीय नागरिक निकल जाए क्योंकि हालात काफी बिगड़ते जा रहे हैं।