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    संयुक्त राष्ट्र

    लीबिया में हिंसक माहौल के बढ़ने के कारण संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को मुल्क में चुनावों को स्थगित कर दिया है। देश की राजधानी त्रिपोली के संघर्ष बढ़ गया है। दक्षिणी अफ्रीकी देश में संघर्ष को खत्म कर शान्ति की स्थापना करने के लिए लीबिया के नेताओं पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दबाव बना रहा है।

    देश में इस हिसंक माहौल के कारण हजारों लोगों को देश छोड़ना पड़ा है और दर्जनों लोग देश छोड़कर भाग रहें हैं।  यूएन के प्रवक्ता ग़स्सान सलामे ने कहा कि “गोलीबारी और हवाई हमलो के दौरान हम लोगो को सम्मेलन में शामिल होने के लिए नहीं कह सकते हैं। आशा है कि अगले सप्ताह नियोजित बैठक जल्द से जल्द आयोजित हो।”

    यूएन अध्यक्ष ने “हालातो को सामान्य करने के लिए सभी सैन्य अभियानों को तत्काल रोकने और सभी प्रकार के संघर्षो से बचने का आग्रह किया है। उन्होंने सैन्य तनावों को बढाने और त्रिपोली में जारी संघर्ष की सख्ती से निंदा की है। साथ ही लिबयन नेशनल आर्मी द्वारा हवाईअड्डे पर किये हवाई हमले की भी आलोचना की है।”

    सोमवार को हालात सामान्य होने के बाद मंगलवार सुबह दोबारा शहर के दक्षिणी भाग में संघर्ष शुरू हो गया था। साल 2011 में नाटो समर्थित सेना ने मोअमेर कद्दाफी को अपदस्थ कर दिया था इस पश्चात से सशस्त्र समूहों के बीच संघसरः शुरू हो गया था। यूएन समर्थित गवर्मेंट ऑफ़ नेशनल एकॉर्ड का देश की राजधानी पर नियंत्रण है। इसे समानांतर देश के पूर्वी भाग में हफ्तार की हुकूमत है और वह राजधानी पर जीएनए के अधिकार को मान्यता नहीं देता है।

    बीते हफ्ते खलीफा हफ्तार की सेना ने राजधानी पर अचानक आक्रमक हमला आकर दिया था। मिटिगा एयरपोर्ट पर हवाई हमले की जिम्मेदारी भी हफ्तार ने ली थी हालाँकि इस हमले को कोई हताहत नहीं हुआ था। यूएन प्रवक्ता ने कहा कि “यह हमला अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का घोर उल्लंघन है जो  सार्वजानिक संपत्ति को नुकसान पंहुचाने के खिलाफ है।”

    हज़ारो लोगो का विस्थापन

    सोमवार को सभी फ्लाइट्स को रोक दिया था लेकिन मंगलवार की शाम को वापस एयरपोर्ट को खोला गया था। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की हिंसा रोकने की मांग को हफ्तार ने टाल दिया था। सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को मृतकों की संख्या 35 बताई थी। हफ्तार ने अपने 14 लड़ाकों की मृत्यु होने का ऐलान किया था। यूएन के मुताबिक संघर्ष ने 3400 लोगो को विस्थापित कर दिया है।

    फ्रांस के राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन ने जीएनए के नेता फ़य्याज़ अल सराज से बातचीत की थी और कहा कि “राजधानी में इस आक्रमकता और नागरिकों की जिंदगियों पर खतरे के वह पूर्ण रूप खिलाफ है।” फ्रैंच दफ्तर के मुताबिक “राष्ट्रपति हफ्तार के साथ संपर्क में हैं और राजधानी में हालिया कार्रवाई पर उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त की है। जंग का तत्काल अंत अनिवार्य है। लीबिया में संघर्ष के अंत करने के वैश्विक समुदाय के सभी पैंतरे विफल साबित हुए हैं।”

    फ्रेंच की योजना के तहत विद्रोही नेता ने 10 दिसंबर 2018 को चुनाव करवाने के लिए रज़ामंदी जाहिर की थी, लेकिन मतदान नहीं सके।

    वैश्विक ताकतों का विभाजन

    पूर्व कद्दाफी मिलिट्री का प्रमुख हफ्तार थे जो लीबिया के राजनीतिक संघर्ष का सबसे प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरा था। उन्होंने पूर्वी लीबिया के अधिकतर भागो को जब्त कर लिया था। उनके आक्रमक रवैये से देश में गृह युद्ध का तनावपूर्ण माहौल है और इसने वैश्विक ताकतों का वभाजन कर दिया कि कैसे लीबिया की अराजकता को खत्म किया जाए।

    हफ्तार का सहयोगी सऊदी अरब, मिस्र और यूएई है वही क़तर और तुर्की इसकी खिलाफत करते हैं। रूस ने कहा कि वह लीबिया की जंग में तटस्थ रहेगा लेकिन जानकारों के मुताबिक, विचारधारा के अनुसार हफ्तार रूस के काफी करीबी है। विश्लेषक एलेक्सेंडर शुमिलिन के मुताबिक “हफ्तार मास्को मैन है। उसे रुसी हथियार भेजे  जाते हैं और वह ख़ुशी से उन्हें स्वीकार करता है। वही दूसरी तरफ जीएनए के नेता सर्राज को इटली का समर्थन है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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