मॉडल-अभिनेत्री लीजा रे का मानना है कि हम सभी लोग तमगों के एक शिकार हैं, और उनका कहना है कि वह अपनी खुद की पहचान एक कैंसर पीड़िता के रूप में नहीं चाहती हैं।
मुंबई में आयोजित टाटा लिटरेचर लाइव में लीजा एक वक्ता थीं, जिसका समापन रविवार को हुआ। लीजा ने कैंसर की अपनी बीमारी के सफर और इस साल रिलीज हुए अपने संस्मरण ‘क्लोज टू द बोन’ के बारे में बात की।
यह पूछे जाने पर कि क्या एक समय के बाद कैंसर से जंग जीतने वाले लोगों को उस तमगे से बाहर आ जाना चाहिए? इस पर लीजा ने अपनी सहमति जताते हुए कहा, “हम सभी तमगों के शिकार हैं, कई तरह के अजीबोगरीब तमगे हैं और ‘कैंसर सर्वाइवर’ भी उन्हीं में से एक है। व्यक्तिगत तौर पर रोजमर्रा की जिंदगी में मैं इसकी पहचान नहीं चाहती।
मैं हर सुबह यह सोचकर नहीं जगना चाहती कि ‘अरे, मैं तो एक कैंसर सर्वाइवर हूं।’ मैं, मैं हूं। अपने कैंसर के अनुभव के रास्ते मैंने कई अच्छे अनुभव किए हैं।”
लीजा ने आईएएनएस के साथ बातचीत में बताया, “हम खुद को कोई तमगा नहीं देते हैं, दूसरे लोग इस तरह के तमगे दे देते हैं। भारत में हमें शायद लोगों को इस तरह के नाम देना पसंद करते हैं।”
साल 2009 में लीजा में मल्टीपल माइलोमा के होने का पता लगा था। यह ब्लड कैंसर का एक दुर्लभ प्रकार है। लीजा ने अपने इस सफर के बारे में एक किताब भी लिखी है।
काम की बात करें तो लीजा वेब सीरीज ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज’ के दूसरे सीजन में नजर आएंगी।