डालमिया समूह ने लालकिला को इसके पर्यटको के सुविधा व रखरखाव के लिए “गोद” लिया है।
क्या है “अडॉप्ट ए हेरिटेज स्कीम”?
केंद्र सरकार विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों के रखरखाव व वहां आने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए निजी कम्पनियों के साथ करार करने की योजना लायी है।
इसके तहत लालकिला पहला ऐसा ऐतिहासिक स्मारक बना है जिसे गोद लिया गया व डालमिया ऐसा पहला समूह बना है जिसने किसी स्मारक को गोद लिया है।
डालमिया समूह के साथ सरकार का करार 5 साल का हुआ है व इसके लिए डालमिया समूह को 22 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
क्या है योजना?
“अडॉप्ट ए हेरिटेज” योजना ऐतिहासिक धरोहरों में पर्यटकों की सुविधाओं के रखरखाव व इंतजाम को निजी सेक्टर की कम्पनियों को देने के लिए चलाया जा रहा है।
केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय की यह पहल “अडॉप्ट ए हेरिटेज: अपनी धरोहर अपनी पहचान” पर्यटन विभाग, भारतीय पुरातत्व विभाग, संस्कृति मंत्रालय व राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के बीच साझेदारी से चलाया जायेगा।
यह योजना सभी साझेदारों के बीच परस्पर सहयोग की मदद से “जिम्मेदार पर्यटन” का विकास करेगी।
इसमें निजी, सार्वजनिक कम्पनियां अथवा व्यक्ति भाग ले सकते हैं ताकि ऐतिहासिक पर्यटन स्मारकों के आस-पास अंतर्राष्ट्रीय स्तर का इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाये जिससे पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो।
पैदा हुआ विवाद
ऐतिहासिक स्मारकों को “लीज़” पर देने को लेकर राजनैतिक गलियारों में विवाद शुरु हो गया। विपक्ष ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया व तृणमूल कांग्रेस सी.पी.आई, कांग्रेस पार्टी व कुछ इतिहासकारों ने भी इस कदम पर अपना विरोध जताया है।
कांग्रेस पार्टी ने तीखा हमला करते हुए कहा, “लालकिला डालमिया समूह को देने के बाद वो कौन सा ऐतिहासिक स्मारक ही जिसे भाजपा सरकार “बांटने” वाली है?”
तृणमूल सुप्रीमो व बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि “क्यों भाजपा सरकार ऐतिहासिक लालकिले की देखभाल भी नहीं कर सकती है? लाल किला हमारे देश की निशानी है। यहीं से स्वतन्त्रता दिवस पर झंडा फहराया जाता है। क्या इसे “लीज़” पर देना जरूरी था? देश के इतिहास का एक काला दिन।”
सी.पी.एम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि यू.पी.ए सरकार के दौरान संसदीय कमिटी ने राष्ट्रीय धरोहरों को लीज़ पर देने के प्रस्ताव को एकमत से ठुकरा दिया था। सरकार को लालकिले के निजीकरण का फैसला वापस लेना होगा।
समतुल्य फैसला,
सरकार के हर फैसले के पीछे एक राजनैतिक विवाद छुपा होता है। हालांकि सरकार का यह फैसला दूरदर्शी नहीं दिखता पर वर्तमान में इसके कई फायदे हैं।
निजी कम्पनियों के पर्यटक सुविधा देने से सबसे अच्छा फायदा ब्रांड इंडिया को मिलेगा। विदेशी पर्यटकों को अच्छी सुविधा से प्रभावित करना सबसे महत्वपूर्ण है। तभी “अतुल्य भारत” करनी में अतुल्य दिखेगा।