Sun. Nov 17th, 2024
    Loudspeaker Politics

    हिज़ाब विवाद, हिलाल विवाद और रामनवमी जुलूस के दंगों के बाद ध्रुवीकरण की राजनीति की किताब इन दिनों एक नया चैप्टर जुड़ गया है- “लाउडस्पीकर की राजनीति”।

    हालांकि यह कोई नया मुद्दा नहीं है या ऐसा पहली बार नहीं है कि लाउडस्पीकर की राजनीति ने बिना लाउडस्पीकर के ही पूरे देश मे शोर मचा रखा है। मस्जिदों में लाउडस्पीकर (Loudspeaker) पर होने वाले नमाज़ के ख़िलाफ़ गाहे-बगाहे आवाज़ उठती रही है लेकिन इन दिनों इस मुद्दे में नई जान फूंकी जा रही है।

    राज ठाकरे ने की मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग

    महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार को 3 मई तक का अल्टीमेटम दिया है कि अगर मस्जिदों से लाउडस्पीकर (Loudspeaker) नहीं हटवाए गए तो उनके लोग इन धार्मिक स्थलों के सामने लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा पढ़ेंगे।

    राज ठाकरे के इस मुहिम को भारतीय जनता पार्टी ने समर्थन किया। इसका असर हुआ कि कहीं लाउडस्पीकर पर हनुमान चालीसा गाये गए तो कहीं मस्जिदों से लाउडस्पीकर बंद भी करवाया गया।

    उत्तर प्रदेश में पहले बनारस और फिर अलीगढ़ में ऐसी घटनाओं को अंजाम भी दिया गया है जहाँ अजान के वक़्त हनुमान चालीसा का पाठ लाउडस्पीकर लगा कर किया गया। वहीं मथुरा में हिंदूवादी संगठनों द्वारा अज़ान के विरोध में हनुमान चालीसा चलाने की चेतावनी के बाद प्रशासन ने मथुरा में एक मस्जिद में लाउडस्पीकर बंद करवाया।

    लाउडस्पीकर विवाद: धार्मिक या राजनीतिक या फिर सामाजिक मुद्दा?

    लाउडस्पीकर पर अज़ान के बदले हनुमान चालीसा का पाठ करने का मुद्दा राजनीतिक मुद्दा है या सामाजिक या फिर धार्मिक मुद्दा, यह तय करना मुश्किल है। सच यही है कि यह तीनों ही तरह का मुद्दा कहा जा सकता है लेकिन इसमें धर्म और राजनीति का स्वाद सामाजिक परेशानी से कहीं ज्यादा है।

    कर्नाटक में हिज़ाब विवाद से शुरू होकर ध्रुवीकरण और साम्प्रदायिकता का ये पूरा खेल अब सिर्फ कर्नाटक तक सीमित नहीं रह गया है। चैत्र नवरात्र के पहले दिन राजस्थान में दंगे, रामनवमी के अवसर पर देश के कई राज्यों से साम्प्रदायिक दंगे और हिंसक झड़पें या फिर हनुमान जयंती पर दिल्ली के जहाँगीरपुरी मे हुए विवाद… ये सभी घटनाएं साम्प्रदायिकता और ध्रुवीकरण की राजनीति का परिणाम हैं।

    अब इसी क्रम में लाउडस्पीकर पर अज़ान के बदले हनुमान चालीसा का पाठ करना या इसकी चेतावनी साम्प्रदायिकता के आग में घी डालने का काम है। अतः निःसंदेह यह कहा जा सकता है कि यह विशुद्ध राजनीतिक मुद्दा है जिस से समाज को बाँटने और राज ठाकरे जैसे नेता द्वारा अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने की कवायद मात्र है।

    एक धड़ा यह जरूर कह सकता है कि लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण होता है और इसलिए इसको रोकना चाहिए और राज ठाकरे ने अपने अल्टीमेटम की सफाई में इसी व्याख्या को आधार बनाया है।

    अब एक बार इस तर्क को मान लिया जाए तो इन हिंदूवादी संगठनों और हिंदुत्व की राजनीति करने वाले लोगों की मांग यह होनी चाहिए कि लाउडस्पीकर पर होने वाले अज़ान का ध्वनि स्तर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या NGT जैसी संस्थानों के द्वारा निर्धारित डेसीबल स्तर पर होनी चाहिए, न कि अज़ान के बदले हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

    इसलिए, इस मुद्दे को लेकर खुद को हिंदूवादी नेता कहने वाले लोगों को देश की भोली भाली जनता को प्रदूषण वाला पाठ पढ़ाना बंद कर के सीधी बात बतानी चाहिए कि यह एक विशुद्ध राजनीति है, और कुछ नहीं।

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    लाउडस्पीकर विवाद पर आदित्य ठाकरे के जवाब

    चाचा राज ठाकरे द्वारा लाउडस्पीकर पर अजान के बदले हनुमान चालीसा का पाठ करने की चेतावनी के बाद इस मुद्दे पर देश भर से इसके पक्ष और विपक्ष दोनों तरह के बयानों का दौर जारी है। शिवसेना के प्रमुख नेता संजय राउत के बाद महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और राज ठाकरे के भतीजे आदित्य ठाकरे ने इस पूरे विवाद पर बयान दिया।

    आदित्य ठाकरे ने बड़े ही नपे तुले अंदाज में कहा – “लाउडस्पीकर पर यह बताया जाना चाहिए कि देश मे बढ़ती महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी के पीछे क्या वजह है और कौन जिम्मेदार है; न कि अजान के बदले हनुमान चालीसा।”

    आज़ादी के अमृत काल में हिन्दू मुस्लिम एकता पर लगातार प्रहार

    देश इस वक्त आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। केंद्र की बीजेपी सरकार इसे हर मौके पर भुनाने की कोशिश करती है। लेकिन देश के आज़ादी के बाद वे मुसलमान जिन्होंने पाकिस्तान के ऊपर भारत को चुना, आज हिन्दू-मुस्लिम धुव्रीकरण वाली थोथी और ओछी राजनीति का शिकार बन रहे हैं।

    केंद्र सरकार से विपक्ष के कई कद्दावर नेताओं ने मांग भी की है कि प्रधानमंत्री को ऐस वक़्त में साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने वाली शक्तियों से संवाद करना चाहिए।

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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