Sat. Nov 16th, 2024

    नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। सीएए को लेकर रविवार को पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हुए। दिल्ली पुलिस ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बैटन और आंसूगैस के गोले का इस्तेमाल किया और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया, जहां हिंसा में कथित संलिप्तता के लिए कई लोगों को हिरासत में लिया गया था।

    लेकिन जामिया के छात्रसंघ का कहना है कि सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान विश्वविद्यालय परिसर में हुई हिंसा और आगजनी से उनका कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ शरारती तत्व प्रदर्शन में शामिल हुए, जिन्होंने प्रदर्शन अवरुद्ध करने के लिए ऐसा किया। छात्रों से दिल्ली पुलिस पर भी उनके साथ बर्बरता बरतने का आरोप लगाया है।

    हिंसा के तुरंत बाद जामिया मिलिया इस्लामिया के चीफ प्रॉक्टर वसीम अहमद खान ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने बिना किसी अनुमति के जबरन विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया। जिसके बाद छात्रों व स्टाफ के साथ मारपीट की और उन्हें परिसर छोड़ने पर मजबूर किया।

    नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध के नाम पर हो रही हिंसा की आग अब उत्तर प्रदेश तक पहुंच गई है। इसके मद्देनजर प्रदेश सरकार ने अलीगढ़, सहारनपुर, कासगंज और मेरठ समेत अन्य कई जिलों में एहतियात के तौर पर धारा 144 लागू कर दी हैं। इन जिलों की इंटरनेट सेवा भी बाधित है। एएमयू में पथराव फायरिंग के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होता देख जिला प्रशासन ने 15 दिसंबर की रात साढ़े दस बजे से 16 दिसंबर की रात दस बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। इस दौरान लीज लाइन और लूप लाइन की इंटरनेट की सेवाएं भी नहीं चलेंगी। इसके अलावा नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सहारनपुर में रविवार रात 12 बजे से इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं।

    उधर, देर रात राजधानी लखनऊ में करीब 500 छात्रों ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया और जाम लगा दिया। छात्रों को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस को लाठी चलानी पड़ी।

    दराअसल किसी ने सोशल मीडिया पर जामिया मिलिया विवि में हुए बवाल को लेकर तरह-तरह के मैसेज चला दिए। व्हाट्एप पर किसी ने पुलिस की गोली लगने से एक छात्र की मौत का मैसेज चला दिया उसके बाद माहौल गर्म हो गया और छात्र सड़क पर उतर आए। अब प्रशासन प्रदर्शनकारियों की सीसीटीवी फुटेज तलाशकर उन पर एफआईआर दर्ज करने की तैयारी कर रही है।

    दिल्ली पुलिस उपायुक्त एमएस रंधावा

    दिल्ली मध्य के पुलिस उपायुक्त मनदीप सिंह रंधावा ने सोमवार को कहा कि जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस के बीच रविवार को हुए संघर्ष में 30 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान लगभग 100 निजी वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान 39 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं।

    उन्होंने बताया कि मामले की जांच अपराध शाखा को सौंप दी गई है।

    भाजपा सांसद विजय गोयल पहुंचे जामिया, छात्रों ने लगाए ‘गो बैक’ के नारे

    पूर्व केंद्रीय मंत्री व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद विजय गोयल सोमवार दोपहर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में आंदोलनकारी छात्रों से बात करने पहुंचे। लेकिन विजय गोयल के पहुंचने पर छात्रों ने उनका भारी विरोध किया और ‘विजय गोयल गो बैक’ के नारे लगाए।

    राज्यसभा सांसद विजय गोयल ने इस पूरे आंदोलन को दुर्भाग्यपूर्ण व राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा, “नागरिकता संशोधन कानून से किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है। यह कानून किसी के भी अधिकारों में कटौती नहीं करता है न ही इस कानून के लागू होने से किसी भी भारतीय की नागरिकता को खतरा है।”

    विजय गोयल ने इस पूरे आंदोलन को आम आदमी पार्टी (आप) की साजिश करार दिया है। गोयल के मुताबिक, दिल्ली के मुख्यमंत्री नागरिक संशोधन कानून के मुद्दे पर लोगों को आंदोलन करने के लिए कह रहे हैं। उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इसे चुनावी मुद्दा बना रहे हैं।

    उन्होंने स्थानीय विधायक अमानतुल्लाह को जामिया में हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अमानतुल्ला यहां भड़काऊ भाषण दे रहे हैं। विजय गोयल ने कहा की धरना दे रहे अधिकांश लोगों में छात्र कम, नेता व राजनीतिक कार्यकर्ता अधिक हैं।

    जामिया परिसर में प्रदर्शनकारियों के बीच मौजूद छात्र नेता जावेद मीर ने विजय गोयल के आरोपों को बेबुनियाद ठहराया। जावेद ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे लोग छात्र ही हैं, जो इस विषय पर आंदोलन व जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं और इसमें किसी प्रकार की राजनीति नहीं ढूंढ़ी जानी चाहिए।

    जामिया-एएनयू छाक्षों के समर्थन में आए आईआईटी-बम्बई और टीआईएसएस के छात्र

    भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बम्बई (आईआईटी-बी) और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) के कई छात्रों ने दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के छात्रों के साथ एकजुटता जताने के लिए रविवार रात के बाद सोमवार को भी प्रदर्शन किया। जामिया व एएमयू में रविवार को बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। कई लड़कियों सहित छात्रों ने “जामिया के साथ एकजुटता/इन सॉलिडैरिटी विद जामिया” के नारे लगाते हुए मशालें, बैनर और पोस्टर लेकर शांतिपूर्वक अपने परिसरों के चारों ओर मार्च किया।

    आईआईटी-बी के छात्रों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि उन्होंने अपने संस्थान के अधिकारियों द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने के बावजूद शांतपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया है।

    रविवार देर रात कैंडल मार्च निकालने वाली कई महिलाओं सहित टीआईएसएस के छात्रों ने कहा कि उन्होंने जामिया मिलिया विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और पूर्वोत्तर राज्यों में छात्रों के खिलाफ क्रूर हिंसा की निंदा करने के लिए सोमवार को अपनी कक्षाओं का बहिष्कार करने की योजना बनाई है।

    जामिया मिलिया और एएमयू में रविवार रात की घटनाओं ने देश भर के विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्रों के बीच गर्म बहस को तेज कर दिया है, जो विभिन्न प्रकार के विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें से कई प्रदर्शन तो हिंसक रूप भी ले चुके हैं।

    दिल्ली सीएम केजरीवाल ने गृहमंत्री शाह से मिलने का समय मांगा

    नई दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंसक विरोध प्रदर्शन होने के अगले दिन सोमवार को मुख्यमंत्री अरविद केजरीवाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने का समय मांगा है। उन्होंने कहा कि वह वर्तमान स्थिति से चिंतित हैं।

    उन्होंने ट्विट के जरिए कहा है कि, “दिल्ली की बिगड़ी कानून-व्यवस्था को लेकर मैं बहुत चिंतित हूं। दिल्ली में तुरंत शांति बहाल की जाए, इसके लिए गृहमंत्री अमित शाह जी से मिलने का समय मांगा है।”

    सीएए के विरोध में तमिलनाडु में छात्रों का प्रदर्शन

    जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ एकता दिखाने के लिए तमिलनाडु के कॉलेज छात्रों ने सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ यहां प्रदर्शन किया। बीते दिन नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान दिल्ली स्थिति जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और दिल्ली पुलिस के बीच झड़प हो गई थी।

    स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के सदस्यों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ चेन्नई उपनगरीय रेलवे टर्मिनल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

    विद्यार्थियों ने कानून, राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटीएम) के छात्रों ने परिसर के अंदर एक जुलूस निकाला। इसी तरह, यहां लोयोला कॉलेज के छात्रों ने भी विरोध प्रदर्शन किया।

    तिरुवन्नामलाई में सरकारी आर्ट्स कॉलेज के छात्रों के एक समूह ने विरोध प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। खबरों के अनुसार, कोयंबटूर और मदुरै में भी छात्रों ने विरोध किया।

    इस बीच द्रमुक के अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने घोषणा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी सीएए के खिलाफ मंगलवार को प्रदर्शन करेगी।

    सीएए विरोध को लेकर आगरा में हाईअलर्ट

    नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 के खिलाफ अलीगढ़ में व्याप्त तनाव के मद्देनजर इससे सटे आगरा के जिला प्रशासन ने कई कदम उठाए हैं। शहर में आने वाले सभी वाहनों की जांच की जा रही है और बड़ी संख्या में अराजक तत्वों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

    जिला अधिकारी एन.जी. रवि, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बबलू कुमार, पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सतीश गणेश ने देर रात शहर के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया। शहर को पांच जोन और 15 सेक्टरों में बांटा गया है और सबका प्रभार एक वरिष्ठ अधिकारी को दिया गया है।

    एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “जरूरत पड़ने पर इंटरनेट सेवाओं को निलंबित किया जा सकता है।”अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए पुलिस साइबर सेल सोशल मीडिया पोस्ट्स पर नजर बनाए हुए है। डिजिटल स्वयंसेवी संगठन सुरक्षा एजेंसियों का सहयोग कर रहे हैं।

    राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में दिल्ली पुलिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज

    जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में दिल्ली पुलिस की कथित कार्रवाई के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता सौरभ दास ने आरोप लगाया कि “15 दिसंबर की रात पुलिस उपायुक्त (दक्षिण-पूर्व) की अगुआई में दिल्ली पुलिस ने यूनिवर्सिटी के छात्रों पर बर्बरतापूर्वक हमला कर दिया।”

    शिकायत में पुलिस पर इमारत में तोड़फोड़ करने, वकीलों को छात्रों से मिलने से रोकने और नाबालिगों को हिरासत में लेने का भी आरोप लगाया गया है।

    सीएए विरोधी हिंसा में मायावती की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग

    नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), 2019 के विरोध में हो रही हिंसा पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने केन्द्र व प्रदेश सरकार से उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने पुलिस व प्रशासन को भी निष्पक्ष रूप में कार्य करने के लिए कहा है। मायावती ने सोमवार को ट्वीट किया, “नए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में की गई हिंसा में पहले उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ व फिर जामिया यूनिवर्सिटी में तथा पूरे जामिया क्षेत्र में भी जो काफी बेकसूर छात्र व आमलोग शिकार हुए हैं, यह अति दुर्भाग्यपूर्ण है तथा पार्टी पीड़ितों के साथ है।”

    उन्होंने आगे लिखा, “ऐसे में उप्र व केंद्र सरकार को चाहिए कि वे इन वारदातों की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराएं और उनके मूल दोषी किसी भी कीमत पर बचने नहीं चाहिए तथा पुलिस व प्रशासन को भी निष्पक्ष रूप में कार्य करना चाहिए। वरना यह आग पूरे देश में, खासकर शिक्षण संस्थानों में भी काफी बुरी तरह से फैल सकती है। साथ ही, सभी संप्रदायों से यह भी अपील है कि वे शान्ति-व्यवस्था को बनाए रखें।”

    जामिया हिंसा मामले में आप विधायक के खिलाफ मामला दर्ज

    दक्षिण-पूर्व दिल्ली के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी ) चिन्मय बिस्वाल ने सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में छात्रों द्वारा हिंसक विरोध प्रदर्शन किए जाने के बाद जामिया पुलिस थाने और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित पुलिस थाने में दो प्राथमिकियां दर्ज कराई गई हैं। इनमें से एक मामला आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ दर्ज किया गया है।

    प्राथमिकियों में आगजनी, तोड़फोड़, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने के आरोप शामिल हैं।

    वहीं रेलवे पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) हरेंद्र सिंह ने बताया कि राजधानी के सभी रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।

    असप पूर्व सीएम प्रफुल्ल कमार महंत

    असम के पूर्व मुख्यमंत्री और असोम गण परिषद (एजीपी) के नेता, प्रफुल्ल कुमार महंत ने सीएए को लेकर कहा है कि हम इसका समर्थन नहीं करने जा रहे हैं। हर कोई इसका विरोध कर रहा है। यह असम समझौते का उल्लंघन करेगा और असम के स्वदेशी लोगों को यहां अल्पसंख्यक बना देगा। एजीपी इसका विरोध करता है। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

    राष्ट्रीय अल्पसंख्याक आयोग अध्यक्ष- सैयद घयोरुल हसन रिज़वी

    राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष, सैयद घयोरुल हसन रिज़वी ने जामिया मिलिया इस्लामिया और एएमयू में सीएए विरोध पर कहा है कि, मैं प्रदर्शनकारियों से अपील करता हूं कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन नहीं किए जाने चाहिए। मैं पुलिस से भी अपील करता हूं कि वे कुछ संयम दिखाएं और स्थिति को शांति से नियंत्रित करें।

    साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि मैं प्रदर्शनकारियों से भी अपील करता हूं कि विरोध की आवश्यकता नहीं है क्योंकि संशोधित नागरिकता अधिनियम 2019 भारत के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। यदि वे सभी विरोध कर रहे हैं, तो इसे शांतिपूर्वक किया जाना चाहिए। यदि आयोग को नोटिस जारी करने की आवश्यकता महसूस होती है, तो यह किया जाएगा।

    सीएए विरोध- मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद

    जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के समर्थन में हैदराबाद स्थित मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (एमएएनयूयू) के छात्रों ने सोमवार को भी अपना प्रदर्शन जारी रखा। छात्रों ने परिसर में नारेबाजी की और तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने दिल्ली तथा अलीगढ़ में एएमयू में छात्रों पर पुलिस कार्रवाई की निंदा की।

    प्रदर्शनकारियों के हाथों में दिख रही तख्तियों पर ‘इंकलाब जिंदाबाद’, ‘लोकतंत्र बचाओ’ और ‘संघी भारत छोड़ो’ जैसे नारे लिखे थे। दिल्ली स्थित जामिया परिसर और उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पुलिस कार्रवाई के बाद भारत की पहली और एकमात्र उर्दू यूनिवर्सिटी के छात्रों ने रविवार रात प्रदर्शन शुरू किया।

    सोमवार से प्रस्तावित परीक्षाओं का बहिष्कार करते हुए बड़ी संख्या में छात्रों ने प्रदर्शन में भाग लिया। छात्र संगठन ने परीक्षा नियंत्रक से परीक्षाओं को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है। प्रदर्शनकारी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को खारिज करने वाले नारे लगा रहे थे और जामिया तथा एएमयू में छात्रों पर कार्रवाई की व्यापक जांच की मांग कर रहे थे।

    लखनऊ के नादवा कॉलेज में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और पत्थरबाजी

    नागरिकता संसोधन कानून (सीएए), 2019 के खिलाफ दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के बाद अब सोमवार को लखनऊ के नदवा कॉलेज में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया और पत्थरबाजी की। इस दौरान सैंकड़ों छात्र सुबह कॉलेज के बाहर निकल आए और विरोध प्रदर्शन करने लगे, जिन्हें पुलिस ने बलपूर्वक अंदर खदेड़ा। इससे गुस्साए छात्रों ने कॉलेज के अंदर से ईंट और पत्थर फेंके। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने आंसूगैस के गोले छोड़े और छात्रों को तितर-बितर किया।

    पुलिस ने छात्रों को कॉलेज के अंदर कर गेट पर ताला जड़ दिया। इस दौरान ट्रांस गोमती के पुलिस अधीक्षक (एसपी) मौके पर छात्रों से शांत रहने की अपील करते रहे, लेकिन छात्र अंदर से लगातार पतथराव करते रहे। पथराव में कुछ पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

    फिलहाल मौके पर पुलिस बल तैनात है। कॉलेज के प्रोफेसर व अन्य कर्मचारी भी छात्रों को समझाने में लगे हैं। मौंके पर लखनऊ के जिलाधिकारी और एसएसपी सहित भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात है।

    लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कलानिधि नैथानी ने बताया, “नदवा कॉलेज के लगभग 150 छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था, लेकिन हमने कुछ ही देर में स्थिति को नियंत्रित कर लिया है। अब हालात सामान्य हैं। छात्र अपनी कक्षाओं में लौट रहे हैं।”

    उधर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने छात्रों द्वारा पथराव करने के मुद्दे पर कहा कि परिसर में कानून-व्यवस्था सख्ती से लागू होनी चाहिए। छात्रों के हिंसात्मक होने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील भी की है।

    बता दें, नदवा कालेज में देर रात तक आस-पास की गलियों में छात्रों का जमावड़ा लगा रहा था। सुरक्षा के लिहाज से वहां पर बड़ी संख्या में पुलिस और पीएसी तैनात की गई थी। साथ ही गृह विभाग ने इन जिलों के जिलाधिकारी और एसपी को सतर्क रहने को कहा था।

    सीएए के खिलाफ कांग्रेस और त्रिपुरा शाही की याचिका पर 18 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट 18 दिसंबर को कांग्रेस की दलीलों और तत्कालीन त्रिपुरा शाही किरीट प्रद्योत देब बर्मन की नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के खिलाफ सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है।

    विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति कोविंद से बैठक के लिए मांगा समय

    समाचार एजेंसी एएनआई को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विपक्षी दलों ने संशोधित नागरिकता अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से देश की वर्तमान स्थिति पर बैठक के लिए समय मांगा।

    कल होगी जामिया हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

    मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंग ने जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की घटनाओं का उल्लेख किया। जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह देश भर में एक बहुत ही गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन है और कोर्ट से इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेने की मांग की है।

    जिस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे ने कहा है कि ‘हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे, लेकिन दंगों के माहौल में नहीं। यह सब रुक जाए, फिर हम इस पर संज्ञान लेंगे। हम अधिकारों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं ‘।

    वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने सीजेआई से कहा कि, ‘एक सेवानिवृत्त एससी न्यायाधीश को जामिया मामले में पूछताछ करनी चाहिए। जिस पर सीजेआई  बोबडे ने कहा कि ‘हम वीडियो नहीं देखना चाहते हैं (जब एक वकील अदालत को बताता है कि वीडियो वहाँ हैं)। अगर सार्वजनिक संपत्ति की हिंसा और विनाश जारी है, तो हम इस याचिका को नहीं सुनेंगे। ‘

    सीजेआई एस ए बोबडे ने कहा है कि, ‘सिर्फ इसलिए कि वे छात्र हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि वे कानून और व्यवस्था को अपने हाथ में ले सकते है। यह तब तय करना होगा जब चीजें शांत हो जाएं। यह वो मनोस्थिति नहीं है जिसमें हम कुछ तय कर सकें। पहले दंगे रुकने दीजिए।

    इस मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

    न्यायिक जांच द्वारा जामिया घटना में हस्तक्षेप की मांग

    दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका का उल्लेख किया गया। जिसमें इस अदालत द्वारा न्यायिक जांच के माध्यम से जामिया घटना में हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि हिरासत में लिए गए 52 और घायल छात्रों को उचित चिकित्सा और मुआवजा दिया जाना चाहिए।

    दिल्ली हाईकोर्ट ने इस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है और याचिकाकर्ता को रजिस्ट्री के माध्यम से अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा गया है।

    विश्वविद्यालय बंद होने के बाद छात्रों ने छोड़ा परिसर

    जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के विरोध प्रदर्शन और पुलिस द्वारा उनकी पिटाई के बाद अब कई छात्राएं इस घटनाक्रम से बुरी तरह डर गई हैं। सोमवार सुबह कई छात्राओं ने हॉस्टल खाली कर दिए। ये छात्राएं अब अपने घर लौट रही हैं। छात्रावास से अपने जरूरी सामान लेकर ये छात्राएं अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो गईं।

    सानिया नामक एक छात्रा ने बताया की फिलहाल वह और उनकी अन्य साथी इस हिंसक माहौल में स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। छात्राओं ने बताया कि रविवार की घटना के बाद उनके परिजन भी बुरी तरह डर गए हैं।

    विश्वविद्यालय के अंदर और बाहर बने हालात के बाद परिजन लगातार इन छात्राओं से संपर्क में हैं और उन्हें घर लौटने के लिए कह रहे हैं। इनमें से कई छात्राएं इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं रही हैं।

    गौरतलब है कि विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पांच जनवरी तक अवकाश घोषित कर दिया गया है। इसके साथ ही यहां होने वाली परीक्षाओं को भी टाल दिया गया है। यही कारण है कि अब यह छात्राएं हिंसक झड़पों से बचने के लिए अपने-अपने घर जा रही हैं।

    पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए अर्धनग्न हो कर बैठा जामिया का छात्र

    जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय परिसर के बाहर सोमवार सुबह भी छात्रों का प्रदर्शन जारी रहा। परिसर के प्रवेश द्वार पर कुछ छात्रों ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया। तेज ठंड में इनमें से कुछ छात्र करीब दो घंटे तक ऐसे ही अर्धनग्न अवस्था में गेट के बाहर प्रदर्शन करते रहे। ये छात्र दिल्ली पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।

    छात्रों का कहना है कि पुलिस विश्वविद्यालय परिसर में बिना अनुमति के घुसी और यहां लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों को बाहर निकाल कर उन्हें पीटा गया। अर्धनग्न अवस्था में मौजूद इन छात्रों का साथ देने के लिए बड़ी संख्या में इनके अन्य साथी भी विरोध प्रदर्शन स्थल पर मौजूद थे।

    सुबह से ही यहां बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं विरोध प्रदर्शन स्थल पर पहुंचना शुरू कर दिया। ये सभी छात्र-छात्राएं नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), 2019 का विरोध कर रहे छात्रों पर रविवार को हुई पुलिस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं।

    रविवार को जामिया के छात्रों ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने कई बसों व दोपहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया। जिसके बाद पुलिस ने बल प्रयोग कर छात्रों को खदेड़ा।

    दिल्ली पुलिसकर्मी घायल

    दिल्ली पुलिस में मिली जानकारी के अनुसार कल प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई हिंसा और पथराव में दक्षिण पूर्व जिला डीसीपी, अतिरिक्त डीसीपी (दक्षिण), 2 सहायक पुलिस आयुक्त, 5 स्टेशन हाउस अधिकारी और निरीक्षक सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं।

    दिल्ली पुलिस पीआरओ एमएस रंधावा

    दिल्ली पुलिस पीआरओ एमएस रंधावा ने बताया है कि हिरासत में लिए गए सभी छात्रों को कालकाजी और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थानों से रिहा कर दिया गया है।

    यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ अपील

    सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने और नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए, यह भी महत्वपूर्ण है कि सभी नागरिक कानूनों का पालन करें।

    दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग आदेश

    दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग द्वारा आदेश जारी किया गया। जिसमें कह गया है कि, ‘आयोग काकलाजी पुलिस थाने के एसएचओ को आदेश देता है कि वह थाने में रोके गए, जामिया मिलिया के घायल छात्रों को तुरंत रिहा करें और उन्हें बिना किसी विलंब के प्रतिष्ठित अस्पताल में इलाज के लिए लेकर जाएं।

    आदेश में आगे कहा गया है कि एसएचओ कालकाजी घायल छात्रों की चोटों में किसी भी जटिलता के लिए जिम्मेदार होंगे। अनुपालन रिपोर्ट को आयोग कार्यालय में 16 दिसंबर को दोपहर 3 बजे तक दायर करना होगा। जिसमें विफल होने पर आयोग द्वारा अपनी समझ के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।

    जामिया कुलपति नजमा अख्तर- छात्रों से नहीं किया था विरोध प्रदर्शन का आह्वान

    जामिया मिलिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने बताया कि जामिया के छात्रों ने रविवार के विरोध का आह्वान नहीं किया। उन्होंने कहा कि, मुझे बताया गया कि जामिया के समीप कॉलोनियों से जुलैना की ओर मार्च करने के लिए कॉल आया था। वे पुलिस से भिड़ गए और विश्वविद्यालय का गेट तोड़ने के बाद परिसर के अंदर घुस गए।

    उन्होंने बताया कि इस वजह से पुलिस लाइब्रेरी में बैठे छात्रों और प्रदर्शनकारियों के बीच अंतर नहीं कर सकी। पुलिस कार्रवाई के दौरान कई छात्र और कर्मचारी घायल हो गए। इतना हंगामा हुआ कि पुलिस अनुमति नहीं ले सकी। मैं अपने छात्रों की शांति और सुरक्षा की उम्मीद करती हूं।

    दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन

    रविवार शाम को नागरिकों ने जामिया विश्वविद्यालय में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर देर रात तक गतिरोध जारी रखा था। प्रदर्शनकारियों में जेएनयू के छात्र भी शामिल थे।

    बेंगलुरू में आजादी की लड़ाई नाम से विरोध प्रदर्शन

    नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर हजारों बेंगलुरूवासियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस आंदोलन को वह ‘आजादी की लड़ाई’ का नाम दे रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन रविवार शाम को किया गया।

    कांग्रेस राज्यसभा के सदस्य राजीव गौड़ा ने ट्वीट के माध्यम से कहा, “हमारे पास हिस्सा लेने के लिए एक और आजादी की लड़ाई है। भारत को उन वास्तविक टुकड़े-टुकड़े गैंग से बचाने के लिए, जो पहचान के आधार पर भारतीयों को बांट रहे हैं।”

    इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट -बेगलुरू (आईआईएम-बी) के पूर्व प्रोफेसर ने प्रदर्शनकारियों से आह्वान किया कि वे समावेशी भारत के लिए लड़ाई लड़ने का प्रण लें और अनेकता का जश्न मनाएं। बेंगलुरू स्थित टाउनहॉल के प्रदर्शन में भाग लेने के दौरान गौड़ा ने कहा, “हमारे देश की आत्मा की रक्षा के लिए मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वे इस संघर्ष में भाग लें।”

    प्रदर्शनकारी नए नागरिकता कानून के विरोध में कर्नाटक राज्य का झंडा, भारतीय तिरंगा और विरोधी नारा लिखे हुए पोस्टर के साथ विरोध करते दिखे। टाउनहॉल में प्रदर्शन के दौरान दिखाए जा रहे एक पोस्टर में लिखा था, “भारतीय संविधान पर हमला बंद करो। हैशटैग एगेंस्ट सीएए।”

    इसी दौरान एक और प्रदर्शनकारी एक पोस्टर लहराता दिखा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को होलोकॉस्ट अपराधी और पूर्व जर्मन चांसलर एडोल्फ हिटलर के बराबर बताया जा रहा था। वहीं प्रदर्शन में शामिल इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा कि भारत की स्थापना विविधता के सिद्धांतों के आधार पर हुई थी। गुहा ने कहा, “हमें लोकतंत्र चाहिए, हमें अनेकतावाद चाहिए।”

    वहीं जयनगर से कर्नाटक विधानसभा की सदस्य सौम्या रेड्डी ने भी सीएए विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों संबोधित किया। उन्होंने कहा, “एक क्रांति शुरू हो गई है। हम भारत की अनेकता को मरने नहीं देंगे। सभी आयोजकों का धन्यवाद। जागिए।” रविवार को हुए विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम समुदाय के कई लोगों ने भी भाग लिया।

    एएमयू में विरोध प्रदर्शन

    रविवार को उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने कैंपस के गेट पर बिल का जमकर विरोध किया था। इस दौरान प्रदर्शनकारी छात्रों की पुलिस के साथ झड़प भी हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और वटर कैनन का इस्तेमाल किया। एएमयू के छात्रों ने यह विरोध प्रदर्शन दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के पास हुए विरोध प्रदर्शन के तुरंत बाद किया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए यूनिवर्सिटी को 5 जनवरी 2020 तक बंद करने का आदेश दिया है।

     

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