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    केरल विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को वापस बुलाने की मांग की है। प्रस्ताव में केंद्र से हस्तक्षेप करने का अनुरोध भी किया गया है। केरल पहला राज्य है, जिसने लक्षद्वीप के हालिया घटनाक्रमों को लेकर विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया है। द्वीप में बीफ व शराब समेत अन्य नियमों को लेकर विवाद पैदा हो गया है। वहीं, इसको लेकर भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा से मुलाकात की और केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति और चिंताओं पर चर्चा भी की। शाह ने भरोसा दिया है कि स्थानीय प्रतिनिधियों के परामर्श के बिना प्रस्तावित कानून को अंतिम रूप नहीं दिया जाएगा। 

    वहीं भाजपा ने केरल विधानसभा से प्रस्ताव पारित किए जाने की निंदा की और कहा कि सदन को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने कहा कि सदन का राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। उधर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एपी अब्दुल्लाकुट्टी, लक्षद्वीप के अध्यक्ष अब्दुल खादर हाजी व उपाध्यक्ष एपी मुथुकोया समेत पार्टी नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मिला। शाह ने लोगों की चिंताओं के निराकरण का आश्वासन दिया।

    एलडीएफ और यूडीएफ ने किया समर्थन

    राजनीतिक मतभेदों के बावजूद सत्तारूढ़ माकपा के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) व कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव का समर्थन किया। प्रस्ताव में कहा गया है कि लक्षद्वीप में स्थानीय जीवन शैली व पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट करके भगवा एजेंडे और कारपोरेट हितों को थोपने की कोशिश की जा रही है। द्वीप में अपराध दर बेहद कम है। इसके बावजूद गुंडा कानून लागू करने के लिए कदम उठाए गए है। केंद्र शासित प्रदेश में शराब बिक्री की अनुमति देने को भी गलत बताया जा रहा है।

    विजयन ने की केंद्र के कानून की आलोचना

    केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सरकार की तरफ से प्रस्ताव पेश किया। यह पंद्रहवीं विधानसभा में इस प्रकार का पहला प्रस्ताव है। उन्होंने लक्षद्वीप में कथित रूप से स्वाभाविक लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश के लिए केंद्र की निंदा की। विजयन ने प्रशासक को विभिन्न सरकारी विभागों के मामलों में हस्तक्षेप करने का विशेष अधिकार देने वाले केंद्र के कानून की भी आलोचना की।

    By दीक्षा शर्मा

    गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली से LLB छात्र

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