संयुक्त राष्ट्र (UN) ने शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की दुर्दशा को न भूले का आग्रह किया है और म्यांमार में उनकी सुरक्षित और स्वैच्छिक वापसी सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक सहयोग की मांग की है। शुक्रवार को बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के शरणार्थी शिविरों में यात्रा के बाद मानवीय मामले के यूएन में सेक्रेटरी जनरल मार्क लोकॉक ने पत्रकारों से कहा कि “शरणार्थियों और उनके मेज़बान देशों की मदद के लिए एजेंसी को धनराशि बढ़ाने की जरुरत है।”
यूएन का सन्देश
उन्होंने कहा कि “व्यापक विश्व के लिए हमारा मुख्य सन्देश हैं, रोहिंग्या को मत भूलना, लोगो के साथ हुई बर्बरता, संस्थान और बांग्लादेश सरकार को मत भूलना, रोहिंग्या और बांग्लादेश दोनों की मदद के लिए उदार रहना।” 700000 से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम सेना के दमन के कारण म्यांमार की पश्चिमी सीमा भागकर बांग्लादेश में घुस आये थे।
12 लाख लोह बांग्लादेश के दक्षिणी पूर्वी भीड़भाड़ वाले और गंदे शिविरों में रह रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघठनो जैसे यूएन हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी और इंटरनेशनल आर्गेनाईजेशन फॉर माइग्रेशन ने कॉक्स बाजार की यात्रा की थी, वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम के तहत विभिन्न भोजन वितरण केन्द्रो की जांच भी की थी साथ ही शरणार्थी महिलाओं और बच्चों से भी बातचीत की थी।
हालात जस के तस
उच्चायुक्त फिलिपो ग्रान्डी ने कहा कि “रोहिंग्या शरणार्थी संकट भूलने वाले संकट में परिवर्तित नहीं हो जाना चाहिए। यह विश्व का सबसे बड़ा शर्णार्थिक संकट रहेगा। मैंने बेहतरीन प्रगति देखी है लेकिन उनके हालात, विशेषकर बच्चो और महिलाओं के अभी भी नाजुक है।
आगामी चक्रवात के दौरान शिविरों में मज़बूत ढांचों की जरुरत को यूएन के अधिकारीयों ने रेखांकित किया था। बांग्लादेश के विदेश मंत्री के मुताबिक, सरकार एक लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को भासन चार द्वीप पर भेजने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि “हमारे पास सूचना है कि इस वर्ष अधिक वर्षा होगी और इस कारण लैंडस्लाइड होने का जोखिम है।”
उन्होंने कहा कि “भासन चार द्वीप अब तैयार हो चुका है और हम मानसून से पूर्व रोहिंग्या शरणार्थियों के विस्थापन के लिए तैयार है।” कई मानव अधिकार समूहों ने बांग्लादेश की योजना पर चिंता व्यक्त की है।