बौद्ध बहुसंख्य म्यांमार ने रोहिंग्या समूह को अल्पसंख्यक दर्जा देने से इन्कार किया हैं। म्यांमार की सरकार, रोहिंग्या लोगों को बांग्लादेश से आये अवैध शरणार्थी मानती हैं और उन्हें म्यांमार की नागरिकता से वंचित रखे हुए हैं।
इसी विषय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधि मंडल, म्यांमार का दौरा करेगा। इस दौरे में वे म्यांमार की नेता आंग सान स्यु की के साथ मुलाकात कर अपनी चिंता जताएंगे। कुवैती राजदूत इस दौरे का नेतृत्व कर रहे हैं।
अपने इस चार दिवसीय दौरे में प्रतिनिधि मंडल, रोहिंग्याओं के मूल प्रान्त रखाइन की भी यात्रा करेंगे। यात्रा के पहले चरण में वे बांग्लादेश में स्थित शरणार्थी शिविरों का दौरा करेंगे। इस दौरे का मुख्य हेतु रोहिंग्या संकट पर वैश्विक समुह की चिंता प्रकट करना और जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकलना हैं।
आपको बतादे, रोहिंग्या शरणार्थी संकट विश्व का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट है। इसमे अब तक करीब 7 लाख रोहिंग्या बांग्लादेश के शिविरों में आसरा लिए हुए हैं। विश्व के कई देश म्यांमार की इस कार्यवाही को भेदभाव से भरा बताते है, क्योंकि रोहिंग्या लोग मुस्लिम हैं और म्यांमार बौद्ध बहुसंख्य देश हैं।
आपको बतादे की म्यांमार की राजनीती में सेना हस्तक्षेप करती हैं। गणतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के अहम फैसलों में सेना की राय अहमियत रखती हैं।
रोहिंग्याओं का म्यांमार से पलायन
- रोहिंग्या लोग म्यांमार में रखाइन प्रान्त के निवासी हैं। रोहिंग्या लोगों के खिलाफ हिंसा की की शुरुवात पिछले वर्ष अगस्त में हुई थी। कुछ रोहिंग्या लोगों ने म्यांमार की सेना द्वारा संचलित सुरक्षा चौकीयों पर हमला कर दिया, उनके निशाने पर 25 से 30 सुरक्षा चौकियां थी। रोहिंग्याओं के इस हमले में सरकार को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा था।
- इस हमले से क्रोधित म्यांमार की सेना ने रोहिंग्याओं के खिलाफ अभियान के शुरुवात की, सेना के इस अभियान ने जल्द ही हिंसक रूप धारण कर लिया था। इस अभियान में कई रोहिंग्याओं को अपनी जान गवा नी पड़ी, जिसमे औरते और बच्चे भी शामिल थे। विश्व के कई देशों म्यांमार के कदम का विरोध करते हुए, उन्होंने इसे नैतिक नरसंहार के बराबर होने की बात की हैं।
संयुक्त राष्ट्र और रोहिंग्या संकट
- संयुक्त राष्ट्र के लगभग सभी देश रोहिंग्या संकट पर अपनी चिंता जाता चुके हैं।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सदस्य देश, म्यांमार के इस कदम का विरोध कर चुके हैं। सदस्य देशों का प्रतिनिधि मंडल इससे पहले ही म्यांमार का दौरा करना चाहता था, लेकिन म्यांमार सरकार के विरोध के चलते यह संभव नहीं हो पाया था।
- सुरक्षा परिषद् के कुछ देश म्यांमार पर कड़ी कारवाही करने के पक्ष में हैं लेकिन म्यांमार को चीन का समर्थन प्राप्त हैं। चीन ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर अपने वीटो अधिकार का प्रयोग कर, उसे पारित होने से रोक सकता हैं।
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर गंभीर हैं। उम्मीद हैं प्रतिनिधि मंडल का यह दौरा इस प्रश्न पर समाधान निकलने में सफल होगा।