Mon. Dec 23rd, 2024
    पोप-फ्रांसिस-बांग्लादेश

    पोप फ्रांसिस वर्तमान में बांग्लादेश दौरे पर है। म्यांमार दौरे के बाद वो गुरूवार को बांग्लादेश के दौरे पर निकले। बांग्लादेश में पोप ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर पर कार्रवाई करने का आग्रह किया।

    पोप ने कहा कि वैश्विक समुदाय को इस संकट की घड़ी में रोहिंग्या की मदद के लिए आगे आना चाहिए और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए।

    पोप फ्रांसिस ने म्यांमार से बांग्लादेश पहुंचने के थोड़ी देर बाद ही रोहिंग्या मुद्दे पर बात की। पोप ने कहा कि म्यांमार सेना ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ जातीय सफाई अभियान चलाया है।

    पोप ने बांग्लादेश में भाषण के दौरान कहा कि हममे से कोई भी इस गंभीर स्थिति से अवगत नहीं रह सकता। आगे कहा कि बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में बड़ीं संख्या में भाई-बहिन अनिश्चित समय तक रहने को मजबूर है।

    शिविर में अधिकांश महिलाएं और बच्चे है। पोप ने कहा कि यह जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस गंभीर संकट को दूर करने के लिए निर्णायक उपाय उठाए। इस संकट को केवल राजनीतिक मुद्दों के जरिए ही मत सुलझाओ बल्कि विभिन्न देशों को रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों में रहने वाले लोगों के लिए तत्काल सामग्री की सहायता दी जाए।

    बांग्लादेश की सराहना की

    रोहिंग्या लोगों की आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय आगे आए। ये बात पोप ने बांग्लादेशी गणमान्य व्यक्तियों और राजनयिकों को कही। पोप फ्रांसिस ने म्यांमार से लाखों की संख्या में आए रोहिंग्या मुसलमानों को सहायता देने के लिए बांग्लादेश की सराहना की।

    गौरतलब है कि म्यांमार दौरे के दौरान पोप ने रोहिंग्या नाम का जिक्र नहीं किया था। क्योंकि अल्पसंख्यक कैथोलिक समुदाय ने वेटिकन को इस बारे में मना कर दिया था।

    अगर पोप रोहिंग्या का नाम लेते तो ईसाईयों के ऊपर हमला हो सकता था। लेकिन रोहिंग्या का नाम नहीं लेने पर कई मानवाधिकार संगठन सहित रोहिंग्या लोग काफी नाराज दिखे।

    पोप फ्रांसिस 31 सालों में पहली बार बांग्लादेश की तीन दिवसीय यात्रा पर रहेंगे जो इस्लामी उग्रवाद के साथ जूझ रहा है। बांग्लादेश की राजधानी ढ़ाका में आज पोप रोहिंग्या शरणार्थियों से भी मिल सकते है।

    शुक्रवार को ढ़ाका में पोप फ्रांसिस सामूहिक सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे जिसमें करीब 100,000 लोगों द्वारा भाग लेने की उम्मीद है।