बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों का म्यांमार लौटना शुरू हो चुका है। इसके लिए म्यांमार व बांग्लादेश के बीच में समझौता भी हो चुका है। लेकिन कई मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि अभी भी म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या का लौटना पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा है कि रोहिंग्या लोगों की म्यांमार में वापसी अभी तक पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। हजारों रोहिंग्या शरणार्थी म्यांमार मे लौटने तो लगे है लेकिन अभी तक वहां पर स्थिति पहले की तरह सामान्य नहीं हो पाई है।
अंदेशा जताया गया है कि रोहिंग्या की वापसी सुरक्षित नहीं है। यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोर्सथ ने कहा कि बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों मे रहने वाले लोगों का कहना है कि वो अब वापस से अपने घर जाना चाहते है। लेकिन यह पल वापस जाने के लिए सुरक्षित नहीं है। अधिकारी ने कहा कि उन्हें वापस भेजने के लिए म्यांमार की सुरक्षा स्थिति में सुधार किया जाना जरूरी है।
म्यांमार और बांग्लादेश द्वारा हस्ताक्षरित समझौते के तहत रोहिंग्या की घर वापसी जल्द ही शुरू होने वाली थी। लेकिन बांग्लादेश की कागजी कार्यवाही पूरी नहीं होने की वजह से इसमें देरी हो रही है। बांग्लादेशी अधिकारियों ने अंतिम क्षण में एक महीने का समय मांगा है।
गौरतलब है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों पर किए जा रहे अत्याचारों की वजह से लाखों की संख्या में रोहिंग्या को देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था। रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ रहा है। अभी भी इनकी मुश्किले जारी है। अब ये जल्द ही वापसी कर रहे है।