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    म्यांमार दूत रोहिंग्या विवाद पर सफाई

    संयुक्त राष्ट्र की मौजूदा बैठक में कई देशों ने रोहिंग्या मुस्लिम पर हो रहे अत्याचारों के लिए म्यांमार की सरकार को दोषी ठहराया है। इसपर म्यांमार के दूत ने सफाई देते हुए कहा है कि यह सामूहिक हत्या नहीं है, बल्कि आतंकवादियों से लड़ने के लिए एक लड़ाई है।

    दरअसल पिछले एक महीने विश्व भर में रोहिंग्या मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों के चर्चे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भी कई देशों ने यह मुद्दा उठाया है। खुद संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी अंतोनिओ गुटेरेस ने इसे म्यांमार सरकार द्वारा सामूहिक हत्याकांड का नाम दिया था। इसके अलावा बांग्लादेशी प्रधानमंत्री सेख हसीना, ईरानी राष्ट्रपति हस्सान रूहानी आदि ने भी इस घटना का जिम्मेदार म्यांमार को माना था।

    ईरानी राष्ट्रपति रूहानी ने अपने भाषण में आंग सान सू की को निशाना बनाते हुए कहा था, ‘जिन लोगों ने शान्ति के लिए नोबेल पुरुष्कार जीते हैं, आज वे शान्ति से बैठकर इस हत्याकांड को देख रहे हैं और आरोपियों की मदद भी कर रहे हैं।’

    इसपर पलटवार करते हुए म्यांमार के संयुक्त राष्ट्र में दूत हाउ डो सुआन ने अपने देश की सरकार का बचाव किया है। उन्होंने अपने भाषण में कहा है, ‘यह सुनना बेहद दुःख की बात है कि रखिने राज्य की घटना पर सभी देश झूठे आरोप उनकी सरकार पर लगा रहे हैं और इसे सामूहिक हत्या कांड का नाम दे रहे हैं। इसमें बिलकुल भी सच्चाई नहीं है।’

    193 देशों की इस संयुक्त राष्ट्र बैठक में कई मुस्लिम देशों और पश्चिमी देशों ने म्यांमार सरकार को इसका जिम्मेदार ठहराया था। इसके जवाब में म्यांमार की ओर से कहा गया कि सरकार सिर्फ आतंकवादियों से लड़ रहे है।

    उन्होंने कहा, ’25 अगस्त को रोहिंग्या आतंकवादियों ने सेना पर हमला किया था। इसके पलटवार से बचने के लिए रोहिंग्या मुसलमानों ने अपनी महिलाओं और बच्चों को बांग्लादेश भेज दिया था और खुद म्यांमार में रहकर सेना से लड़ने की तैयारी कर रहे थे।’

    आगे कहा गया, ‘कई गाँव वालों ने इसे अंतराष्ट्रीय मुद्दा बनाएं के लिए देश छोड़कर बांग्लादेश में शरण ले ली थी। इसके अलावा जिन गाँव वालों ने सरकार का साथ देने की कोशिश की थी, उन्हें आतंकवादियों ने मार गिराया।’

    अपने देश की सरकार का बचाव करते हुए सुआन ने कहा कि म्यांमार की सरकार सिर्फ आतंकवादियों से लड़ रही है और सभी देशों को इसे निष्पक्ष भाव से देखना चाहिए।

    जाहिर है सभी देशों का रुख इस समय म्यांमार के खिलाफ है। संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार के खिलाफ कार्यवाई करने के लिए एक समिति बनाने का फैसला किया था, लेकिन म्यांमार के साथी देश चीन ने इसका विरोध किया था, जिसकी वजह से यह संभव नहीं हो सका।

    अब संयुक्त राष्ट्र में मौजूद देश आज मंगलवार को इस मुद्दे पर गुप्त द्विपक्षीय मुलाक़ातें करेंगे और गुरुवार 28 सितम्बर को इसपर सामूहिक चर्चा होगी।

    म्यांमार के दूत ने रोहिंग्या विवाद को एक बहुत जटिल विवाद माना है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसपर सही कार्यवाई करने की बात कही। हालाँकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वे किस तरह की कार्यवाई की बात कर रहे हैं।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।