बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम ने बांग्लादेश शरणार्थियों की वियतनाम द्वारा दी मदद का स्वागत किया है। ढाका कॉक्स बाजार में रह रहे लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए वियतनाम ने 50 हज़ार डॉलर की मदद की है। डब्ल्यूएफपी के प्रतिनिधि और निदेशक रिचर्ड रागन ने कहा कि “कॉक्स बाजार में रह रहे शरणार्थियों की मदद के लिए हम वियतनाम के आभारी है।”
उन्होंने कहा कि “उन्हें तत्काल मानवीय सहायता की जरुरत है,और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का निरंतर सहयोग भी जरुरी है, हम जरूरतमंद लोगों को इंसानियत के नाते मदद मुहैया करना जारी रखना चाहिए। वियतनाम की सहायता की घोषणा विदेश मामलों के उपमंत्री न्गुयेन काक डज़ंग ने बांग्लादेश की यात्रा के दौरान की है।
ढाका ट्रिब्यून नें लिखा, वियतनाम के उपमंत्री ने कहा कि “यह हालिया योगदान है, हमें उम्मीद है कि हमारा समर्थन इस संकटग्रस्त हालातों से उभारने के लिए उपयोगी होगा।” डब्ल्यूएफपी ने कहा कि साल 2017 में वियतनाम के साथ दर्जनों राज्यों ने कॉक्स बाजार के शरणार्थियों की मदद का संकल्प लिया है। जिसके तहत 87000 से अधिक शरणार्थियों को प्रति माह भोजन उपलब्ध कराया जायेगा।
संयुक्त राष्ट्र परिषद् कॉक्स बाजार के शरणार्थियों को पौष्टिक सहायता व जीवन जीने योग्य मदद मुहैया कर रहा है। यूएन ने आगाह किया कि बांग्लादेश में सहायता कार्यक्रम जारी रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की आवश्यकता है। म्यांमार में सेना की दमनकारी निति अपनाने के बाद रखाइन प्रान्त से लाखों रोहिंग्या मुस्लिम भागकर बांग्लादेश की सरहद पर आये थे। रोहिंग्या ,मुस्लिम अभी कॉक्स बाजार के इलाके में रह रहे हैं।
यूएन ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट करार दिया था। म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिमों को खदेड़ने के लिए हिंसा की गयी थी और उनके घरों को तहस नहस कर दिया गया था। इस हिंसा के बाद साथ लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को मजबूरन बांग्लादेश में पनाह लेनी पड़ी थी। यूएन ने इस हिंसक अभियान को संजातीय समूह का सफाया करना बताया था। उन्होंने कहा था कि म्यांमार के आला अधिकारियों पर इस नरसंहार को अंजाम देने के लिए जांच होगी।