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    रोहिंग्या मुस्लिम हिन्दू

    रोहिंग्या शरणार्थी संकट, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट हैं, म्यांमार सेना के अत्याचार के चलते कई रोहिंग्या शरणार्थी पड़ोसी देश बांग्लादेश और कुछ भारत में आसरा लिए हुए हैं।

    बौद्ध बहुल म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्याओं के विरोध में म्यांमार सेना के द्वारा उठाये गए इस कदम की विश्व के कई देशों के निंदा की, ख़ास कर मुस्लिम बहुल देश जैसे सऊदी अरब, पाकिस्तान और अन्य।

    मगर आपको बता दे, सिर्फ म्यांमार सेना ने ही नरसंहार को अंजाम नहीं नहीं दिया है, रोहिंग्या मुस्लिमों भी ने म्यांमार में रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं के नरसंहार को अंजाम दिया हैं।

    मानवाधिकारों की समीक्षा करने वाली आंतरराष्ट्रिय संस्था अमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा जारी रिपोर्ट में पिछले साल अगस्त में रोहिंग्याओं द्वारा कराये गए हिन्दू नरसंहार की बात कई गयी हैं।

    रोहिंग्याओं का म्यांमार से पलायन

    रोहिंग्या लोग म्यांमार में रखाइन प्रान्त के निवासी हैं। रोहिंग्या लोगों के खिलाफ हिंसा की की शुरुवात पिछले वर्ष अगस्त में हुई थी। कुछ रोहिंग्या लोगों ने म्यांमार की सेना द्वारा संचलित सुरक्षा चौकीयों पर हमला कर दिया, उनके निशाने पर 30 सुरक्षा चौकियां थी। रोहिंग्याओं के इस हमले में सरकार का काफी नुकसान का सामना करना पड़ा था।

    इस हमले से क्रोधित म्यांमार की सेना ने रोहिंग्याओं के खिलाफ अभियान के शुरुवात की, सेना के इस अभियान ने जल्द ही हिंसक रूप ले लिया।

    म्यांमार में हिन्दू अल्पसंख्यक समाज

    म्यांमार एक बौद्ध बहुल देश हैं और देश में हिन्दू अल्पसंख्यक भी रहते हैं। हिन्दू धर्मीय म्यांमार के कई प्रान्तों में रहते हैं।

    बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए राज्य रखाइन जो की मुस्लिम बहुसंख्य प्रान्त हैं, वहां हिन्दू अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ रहते थे।

    अमनेस्टी इंटरनेशनल के रिपोर्ट के अनुसार, आरकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी ने अह नौक खा मांग सेई नामक गाँव में रह रहे हिन्दूओं के कत्लेआम को अंजाम दिया। जिसकी पुष्टि म्यांमार सरकार द्वारा की गयी हैं।

    उसी दिन, रोहिंग्याओं ने प्रान्त में स्थित 30 पुलिस चौकियों और म्यांमार सेना के आर्मी बेस पर हमला कर दिया जिसमे सेना और पुलिस की जीवित और वित्तहानी हुई थी। उसके बाद म्यामांर सेना ने रोहिंग्या विरोधी कार्यक्रम की शुरुवात की, जिसके चलते करीब 7 लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को पड़ोसी देश बांग्लादेश में आसरा लेना पड़ा।

    पिछले साल दिसंबर में रखाइन प्रान्त के दौरे पर गए पत्रकारों के समूह ने उत्तरी रखाइन में कई हिन्दू धर्मीय नागरिकों की लाशे, एक गड्ढे में दफनाई हुई पाई थी। उन मृतदेहों की जांच करने के बाद उनकी हिन्दू होने की पुष्टि की गयी थी, जिनमें अधिकतर ऐसे लोग थे, जिनके लापता होने की बात की गयी थी।

    अमनेस्टी इंटरनेशनल और निष्पक्षता

    अमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा जारी की गयी इस रिपोर्ट की निष्पक्षता को स्पष्ट करते हुए, संस्था ने कहा हैं की रिपोर्ट में दिए गए सभी तथ्यों की आधिकारिक जांच करायी गयी है। संबंधित हिन्दू प्रत्यक्षदर्शीओं ने बयान और संबंधित सबूतों की फॉरेंसिक जांच के बाद उन्हें रिपोर्ट में शामिल किया गया हैं।

    22 वर्षीय हिन्दू, बिना बाला ने अमनेस्टी को दिए आमने साक्षात्कार में कहा, “वे(रोहिंग्या) हमारे घर में घुसे, उनके पास चाकू और लोहे की रॉड थी। उन्होंने हमारे हाथ बांध दिए और आँखों पर पट्टी बांध दी।”

    ( बिना बाला)

    22 वर्षीय हिन्दू, बिना बाला ने अमनेस्टी को दिए आमने साक्षात्कार में कहा, “वे(रोहिंग्या) हमारे घर में घुसे, उनके पास चाकू और लोहे की रॉड थी। उन्होंने हमारे हाथ बांध दिए और आँखों पर पट्टी बांध दी।”

    “मैंने उनसे पूंछा के वो ऐसा क्यों कर रहे हैं। उनमें से एक ने कहा, ‘तुम्हारा धर्मं अलग हैं, इसलिए तुम यहाँ नहीं रह सकते।’ उन्होंने हमारे घर में रखा सारा सामना चुरा लिया और हमें पीटा। और हमें उसी स्थिती में छोड़ वे चले गए।”

    अमनेस्टी इंटरनेशनल की क्राइसिस रिस्पांस डायरेक्टर, टिराना हस्सन के अनुसार अमनेस्टी इंटरनेशनल की इस रिपोर्ट का हेतु आरकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी द्वारा कराये गए मानवाधिकारों के उल्लंघन पर प्रकाश डालना यह हैं, जिसकी तह तक पहुँचने की कोशिश इससे पूर्व नहीं की गयी थी।

    रोहिंग्या शरंर्थी संकट विश्व के सामने एक बड़ी चुनौती हैं, इसमें कोई दोराहे नहीं हैं, लेकिन रोहिंग्या शरणार्थी संकट क्यों पैदा हुआ, इसके पीछे की परिस्थियाँ रही, ऐसे क्या कारण थे जिनके कारण म्यांमार में हिन्दू नरसंहार को अंजाम दिया गया, इन सवालों की तह तक पहुंचना भी जरुरी हैं।

    रोहिंग्या मुस्लिमों का अलग और आक्रामक रवय्या, उनके आंतंकवादी संघटनों से जुड़ते तार भारत और बांग्लादेश के लिए खतरे की घंटी हैं। पहले से ही आंतकवाद से त्रस्त भारत में रोहिंग्या शरणार्थी जम्मू और हैदराबाद जैसी जगहों पर आसरा लिए हुए है, इसलिए भारत सरकार को उन्हें जल्द से जल्द अपने देश म्यांमार भेज देना चाहिए।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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