Sat. Nov 23rd, 2024
    संयुक्त राष्ट्र रखाइन पत्रकार

    म्यांमार सरकार ने दो पत्रकारों को जबरन गिरफ्तार किया है। वो भी इसलिए की वो म्यांमार के रखाइन प्रांत में रिपोर्टिंग कर रहे थे। दोनों पत्रकार वा लोन और क्वा सोए ओ रखाइन प्रांत मे रोहिंग्या मुसलमानों के साथ हुई हिंसा की कहानियों पर काम कर रहे थे। इनकी गिरफ्तारी का विरोध करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इनकी रिहाई की मांग की है।

    एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि इस गिरफ्तारी से संकेत मिल रहा है कि दक्षिण-पूर्व एशियाई देश म्यांमार में प्रेस की स्वतंत्रता सिकुड़ रही है। टोक्यो में गुरूवार को मीडिया से बात करते हुए रायटर के दो पत्रकारों की दुर्दशा के मामले को लेकर एंटोनियो ने अपनी बात कही।

    रायटर के दोनों पत्रकार म्यांमार के रखाइन प्रांत में हिंसाग्रस्त इलाकों की ग्राउंड रिपोर्ट की जानकारी ले रहे थे। ये रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर काम कर रहे थे। म्यांमार सरकार को डर लग रहा था कि कहीं हिंसाग्रस्त इलाके की रिपोर्टिंग करते समय असली सच्चाई दुनिया के सामने न आ जाए। शायद इसलिए ही म्यांमार ने दोनों पत्रकारों को गिरफ्तार किया है।

    रोहिंग्या अल्पसंख्यक पर कर रहे थे काम

    समाचार एजेंसी ने पुष्टि की है कि ये दोनों पत्रकार मंगलवार को गिरफ्तार किए गए थे। जब वे म्यांमार के पश्चिमी राज्य रखाइन में रोहिंग्या अल्पसंख्यक के बारे में कहानियों पर काम कर रहे थे।

    समाचार एजेंसी ने कहा है कि दोनों पत्रकार विशाल रोहिंग्या की त्रासदी को दुनिया को दिखाना चाहते थे शायद इसलिए ही इन्हें गिरफ्तार किया गया है। समाचार एजेंसी ने कहा है कि दोनों पत्रकारों को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था जिसकी सजा अधिकतम 14 साल की जेल है।

    दोनों ही पत्रकार म्यांमार के नागरिक है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पत्रकारों की रिहाई और म्यांमार में प्रेस की स्वतंत्रता को सुरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।

    गौरतलब है कि म्यांमार में लाखों रोहिंग्या मुसलमानों के ऊपर अत्याचार किया गया था। लेकिन दुनिया की नजर में म्यांमार सरकार इसकी भयावह सच्चाई को सामने नहीं लाने की पूरी कोशिश कर रही है।