Sun. Nov 17th, 2024
आंग सान सू की

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सदस्य देशों का प्रतिनिधि मंडल रोहिंग्या शरणार्थी संकट को लेकर म्यांमार के दौरे पर हैं, पेरू के राजदूत के नेतृत्व वाला यह प्रतिनिधि मंडल रोहिंग्या संकट की जांच करेगा। म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सां स्यु की के कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार बांग्लादेश और अन्य देशों में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को नागरिकता के जांच के बाद म्यांमार वापस लेगा।

म्यांमार की सेना के क्रूरता के चलते करीब 7 लाख रोहिंग्या म्यांमार से पलायन करने के लिए मजबूर थे। इनमें ज्यादातर शरणार्थी पड़ोसी बांग्लादेश के अस्थायी शिविरों में आसरा लिए हुए हैं।

सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के प्रतिनिधि मंडल से स्टेट काउंसलर आंग सां स्यु की से मुलाकात की, इस मुलाकात में रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर विस्तार से चर्चा की गयी। इस वार्ता के अंत में म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों को वापिस लेने के फैसले की आंग सांग स्यु की ने पुष्टि की।

संयुक्त राष्ट्र का प्रतिनिधि मंडल म्यांमार के दौरे से पूर्व बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों का दौरा कर चूका हैं। म्यांमार सेनाध्यक्ष जनरल मीन औंग ह्लैंग और अन्य उच्चस्तरीय सरकारी अधिकारीयों से भी प्रतिनिधि मंडल मुलाकात कर चूका हैं।

15 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल, पश्चिमी म्यांमार कर रखाइन प्रान्त का दौरा करेगा। रोहिंग्या शरणार्थी रखाइन प्रान्त के मूल निवासी हैं।

म्यांमार के सरकार रोहिंग्या शरणार्थीयों को वापस लेने के लिए बांग्लादेश से करार किया हैं, जिसके तहत नागरिकता की पुष्टि किये जाने के बाद रोहिंग्या लोगों के म्यांमार में फिरसे रहने की अनुमति प्रदान की जाएगी। म्यांमार सरकार और सेनाने रोहिंग्या लोगों के विषय में मानवाधिकारों के हनन से इन्कार किया हैं, और सेना की कारवाही को आतंकवाद के खिलाफ उठाया गया कदम बताया हैं।

आपको बतादे, रोहिंग्या शरणार्थी संकट विश्व का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट है। इसमे अब तक करीब 7 लाख रोहिंग्या बांग्लादेश के शिविरों में आसरा लिए हुए हैं। विश्व के कई देश म्यांमार की इस कार्यवाही को भेदभाव से भरा बताते है, क्योंकि रोहिंग्या लोग मुस्लिम हैं और म्यांमार बौद्ध बहुसंख्य देश हैं।

आपको बतादे की म्यांमार की राजनीती में सेना हस्तक्षेप करती  हैं।  गणतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के अहम फैसलों में सेना की राय अहमियत रखती  हैं। उम्मीद हैं आने वाले समय में म्यांमार की सरकार रोहिंग्याओं को बंगलदेश से आये अवैध शरणार्थी न मानते हुए उन्हें म्यांमार की नागरिकता प्रदान करेगी, जिससे भविष्य में ऐसे शरणार्थी सकंट उत्पन्न न हो।

By प्रशांत पंद्री

प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *