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    म्यांमार में दमनकारी नीति के कारण भागकर आये रोहिंग्या मुस्लिम

    मानव अधिकार समूह ने सोमवार को कहा कि म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ हुए अपराध की जांच के न्याय के लिए तत्काल एक अपराधिक न्यायाधिकरण की मांग की है। पब्लिक इंटरनेशनल ग्रुप और पालिसी ग्रुप ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा कि म्यांमार की सेना ने मानवता को कुचलकर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराध और नरसंहार किया हैं।

    यह रिपोर्ट म्यांमार से भागकर आये 1000 रोहिंग्या मुस्लिम के साक्षात्कार पर आधारित है। अमेरिका में स्थित इस समूह ने नरसंहार शब्द का इस्तेमाल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल किया है ताकि वह म्यांमार के खिलफ कड़ी कार्रवाई करें।

    रिपोर्ट के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय जनता को अपराध और अपराधों से संरक्षित करने के लिए बाध्य है। इसमें कहा कि कि जल्द ही एक दायित्व तंत्र का गठन होना चाहिए या इसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधिक शाखा में भेजा जाना चाहिए। म्यांमार में बौद्ध समुदाय बहुसंख्यक है और पूर्व में म्यांमार की सेना ने कई बार रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार किया था और हमेशा इसे अभियान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कहता रहा है।

    म्यांमार में खोजी अभियान के प्रमुख मर्ज़ुकी दरुस्मन ने मीडिया से मुखातिब होकर बताया कि रोहिंग्या नागरिकों की हत्या करने के साथ ही उन्हें समाज से बहिष्कृत किया गया था। साथ ही प्रजनन पर रोक और शिविरों में मुस्लिमों को भेजा गया था।

    मर्ज़ुकी दरुस्मन ने कहा कि नरसंहार अभी जारी है। यूएन की सुरक्षा परिषद् में जारी की रिपोर्ट का रूस और चीन ने विरोध किया है। इस अभियान की 444 पन्नों की रिपोर्ट पिछले माह जारी की गयी थी। इस रिपोर्ट को जारी करते हुए अभियान के प्रमुख ने म्यांमार के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय अदालत में भेजे जाने की मांग की थी।

    मर्ज़ुकी दरुस्मन ने बताया कि इस हिंसा में लगभग 390 गाँव बर्बाद किए गए हैं जबकि 10000 रोहिंग्या नागरिकों की हत्या की गयी थी। उन्होंने चेताते हुए कहा कि म्यांमार का रखाइन प्रांत बंगलादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सुरक्षित और रहने योग्य नहीं है। उन्होंने कहा शरणार्थियों को वापस भेजना उनकी जिंदगियों को खतरे में डालना होगा।

    म्यांमार में नियुक्त यूएन के राजदूत ने कहा कि राष्ट्रीय एकजुटता के दो पहलुओं में से एक दायित्व होता है जबकि वार्ता दूसरा स्तंम्भ होता है। उचित तथ्यों को खोजना दायित्व की ओर पहला कदम है।

    अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक रोहिंग्या मुस्लिमों की हत्याएं, दुष्कर्म और अन्य अपराधिक गतिविधियाँ एक नियोजित और तरीके से संचालित किया गया अभियान था। अमेरिका ने इन नरसंहार को अब अपराध की श्रेणी से ऊपर माना है। इस रिपोर्ट के बाबत अमेरिकी प्रवक्ता ने कहा कि वह नए सबूतों और सूचनाओं की समीक्षा और आंकलन में जुटे हुए हैं।

    सांसदों ने राज्य सचिव माइक पोम्पेओ की आलोचना की है। अगले सप्ताह अमेरिका की संसद में एक मसौदा लाया जायेगा, जिसमे रोहिंग्या मुस्लिमों को अपराध और नरसंहार का पीड़ित बताया जायेगा।

    माइक पेन्स ने कहा कि अमेरिका म्यांमार ने मुक्त और स्वतंत्र मीडिया को देखना चाहता है। पिछले वर्ष दो पत्रकारों को जेल में डालकर म्यांमार में लाखों अमेरिकन को सकते में डाल दिया था। उन्होंने कहा कि अमेरिका लोकतांत्रिक संस्थान और विचारों पर यकीन कार्य है, साथ ही मुक्त और स्वतंत्र मीडिया पर यकीन कार्य है।

    म्यांमार में पत्रकारों को गिरफ्तारी के दौरान वे रायटर्स में कार्यरत थे। इन पत्रकारों ने 10 रोहिंग्या मुस्लिमों की हत्या की जांच की थी। रायटर्स ने यह रिपोर्ट 8 फरवरी को प्रकाशित की थी।

    म्यांमार ने इन आरोपों को खारिज किया कि सेना ने रखाइन में नरसंहार अभियान चलाया था। हालांकि सेना के अत्याचार के कारण ही 720,000 रोहिंग्या मुस्लिम नागरिक बांग्लादेश की सरहद पर शरण के लिए गए थे।

    इस रिपोर्ट के मुताबिक अपराधियों का मकसद सिर्फ रोहिंग्या मुस्लिमों को देश से खदेड़ना नहीं था बल्कि उनका विनाश करना था। बांग्लादेश की तरफ भागे रोहिंग्या मुस्लिमों पर म्यांमार की सेना ने हेलिकॉप्टर से फायरिंग भी की थी।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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