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    रोहिंग्या मुस्लिम

    जापान ने मंगलवार को म्यांमार और बांग्लादेश के बीच मध्यस्थता कर महत्वपूर्ण किरदार निभाने का प्रस्ताव दिया है ताकि रोहिंग्या मुस्लिमो का शांतिपूर्ण और सुगमता से प्रत्यर्पण किया जा सके। रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार के रखाइन प्रान्त से भागकर आये थे।

    मध्यस्थता का प्रस्ताव

    एएनआई रिपोर्ट्स के मुताबिक, जापानी विभाग ने कहा कि “यह प्रस्ताव जापानी विदेश मंत्री तारा कोनो और बंगलादेशी समकक्षी एके अब्दुल मोमन के बीच मंगलवार को ढाका में द्विपक्षीय बैठक के दौरान दिया गया था।” मुलाकात के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए दोनों विदेशी राजनयिकों ने अर्थपूर्ण और जरुरी कदम को उठाने की महत्वता और जरुरत पर जोर दिया था।

    म्यांमार की सरकार को रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के लिए देश के माहौल को उनके अनुकूल बनाने के लिए संभावित कदम उठाने चाहिए। कोनो ने बांग्लादेश की तीन दिवसीय यात्रा की थी और ढाका के कॉक्स बाज़ार का दौरा भी किया था। इस इलाके में रोहिंग्या शरणार्थियों ने शिविरों में पनाह ले रखी है।

    इस दिन की शुरुआत में उन्होंने कई व्व्यक्तियों के साथ वार्ता की थी ताकि हालात और स्थितियों को बेहतर समझ सके। बांग्लादेश के कानून मंत्री अनिसुल हग ने कहा कि “संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों का आगमन जारी है लेकिन थोड़ा कम हुआ है।”

    म्यांमार और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण समझौते पर नवम्बर 2017 में दस्तखत हो गए थे हालाँकि अभी तक एक भी रोहिंग्या अपने मुल्क वापस नहीं गया है। बांग्लादेश ने कहा है कि वह रोहिंगा प्रवासियों को राष्ट्र को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं करेंगे।

    नाय पई ताव से 15 सदस्यीय प्रतिनिधि समूह की टीम को म्यांमार के विदेश मंत्रालय के स्थायी सचिव म्यिंत थू के नेतृत्व में थी। उन्होंने शरणार्थी समुदाय की महिलाओं समेत नेताओं के साथ चार घंटे की बैठक की थी। शनिवार को म्यांमार के नेताओं के साथ म्यांमार के प्रतिनिधि समूह की बैठक के केंद्र के बाहर सैकड़ो रोहिंग्या नागरिक एकत्रित हुए थे लेकिन बंगलादेशी पुलिस ने उन्हें तितर-बितर कर दिया थ।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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