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    रोहिंग्या मुस्लिम

    रोहिंग्या मुस्लिमों का मुद्दा अभी भी देश के पटल पर छाया हुआ है। अभी भी भारत में करीबन 40000 रोहिंग्या मुसलमान अवैध रूप से शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। इनके देश में रहने या ना रहने पर एकमत फैसला नहीं हो सका है। जहाँ केंद्र सरकार इन्हे देश से निकालने के पक्ष में है, वहीँ एक बड़े वर्ग के लोग इन्हे देश में रहने देना चाहते हैं।

    दरअसल सरकार का मानना है कि रोहिंग्या मुस्लिमों के भारत में रहने से देश को कई मायनों में खतरा हो सकता है। इनमे मुख्य रूप से राष्ट्रिय सुरक्षा, आंतरिक दंगे, संसाधन की कमी एवं कई राजनैतिक और आर्थिक मुद्दे शामिल हैं। इस लेख के जरिये हम ऐसे मुद्दों पर रोशनी डालेंगे, जो रोहिंग्या मुस्लिम की वजह से देश के लिए समस्या बन सकते हैं।

    पर्याप्त संसाधन की कमी

    रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या लाखों में है। ऐसे में भारत को इन्हे रहने और अन्य सहायता देने में बहुत बड़ी मात्रा में विभिन्न साधनों की जरूरत पड़ेगी। लाखों लोगों को भोजन और अन्य साधन देना भारत के लिए संभव नहीं है। हालाँकि भारत ने बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या के लिए सहायता सामग्री भेजी है, लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में यह उपलब्ध कराना भारत के लिए संभव नहीं होगा।

    इसके अलावा एक और जहाँ देश का किसान पानी और उपज के लिए तरस रहा है, भारत का दूसरे देश के शरणार्थियों की मदद करना सही नहीं होगा।

    नाजुक छेत्रों में मुसीबत

    रोहिंग्या मुस्लिम इस समय बड़ी मात्रा में भारत के नाजुक इलाकों में रह रहे हैं। इनमे जम्मू कश्मीर, असम, पश्चिम बंगाल और कई सीमावर्ती इलाके शामिल हैं। इन छेत्रों में पहले से ही स्थिति नाजुक है और आये दिन यहाँ घुसपैठ और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं होती हैं। इस स्थिति में भारत के लिए और शरणार्थियों को रहने देना खतरे से खाली नहीं होगा।

    बंगाल और असम में इस समय लाखों बांग्लादेशी अवैध मुसलमान रह रहे हैं। इन्हे देश से निकलने के लिए भारतीय सरकार पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन इस मायाजाल का सफाया करना निकट समय में संभव नहीं होता दिख रहा है।

    रोहिंग्या आतंकवादियों से देश को खतरा

    पिछले कुछ दिनों में म्यांमार सरकार और बांग्लादेश की ओर से कई ऐसे सबूत पेश किये गए हैं, जो एक बड़ी मात्रा में रोहिंग्या आतंकवादियों के होने की सम्भावना सिद्ध करते हैं। म्यांमार में रोहिंग्या आतंकवादियों ने वहां की सेना पर हमला किया था, जिसमे बड़ी मात्रा में सैनिक मारे गए थे।

    भारत में हज़ारों की संख्या में रोहिंग्या दिल्ली समेत कई इलाकों में रह रहे हैं। अगर रोहिंग्या आतंकवादियों को किसी तरह दिल्ली ओर अन्य इलाकों में घुसने की इजाजत मिल जाती है, तो यह भारत के लिए बहुत घातक साबित हो सकता है।

    म्यांमार से बिगड़ते रिश्ते

    म्यांमार सरकार रोहिंग्या वर्ग को आतंकवादी मानती है। उनके मुताबिक सामान्य जनता ने आतंकवादियों के साथ मिलकर म्यांमार सरकार ओर सेना के खिलाफ साजिश को अंजाम दिया है। ऐसे में यदि भारत वैध रूप से इन्हे रहने देता है, तो यह म्यांमार को अच्छा नहीं लगेगा।

    जाहिर है म्यांमार भारत के लिए कई मुद्दों पर अहम् है। उत्तर पूर्वी सीमा पर शांति बनाये रखने में म्यांमार भारत की लगातार मदद करता आया है। इसके अलावा चीन द्वारा शुरू की गयी वन बेल्ट वन रोड़ योजना भारत और म्यांमार से होकर गुजरती है। इस योजना का अभी तक भारत ने विरोध ही किया है। इसमें अपना पक्ष मजबूत करने के लिए भारत को म्यांमार के साथ की जरूरत है।

     

    इस सबके बाद भी यह हमें मानना चाहिए कि बड़ी मात्रा में रोहिंग्या मुस्लिम प्रताड़ित किये जा रहे हैं और उन्हें मदद की जरूरत है। एक समृद्ध और शक्तिशाली देश होने के नाते से भारत को इनकी मदद करनी चाहिए और भारत ने ऐसा किया भी है। भारत ने बांग्लादेश को आश्वासन दिया था कि भारत हर तरह की मदद के लिए तैयार है। इसके अलावा भारत लगातार म्यांमार पर इन्हे वापस लेने पर जोर डाल रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की सालाना बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए विश्व से इनकी मदद करने की गुहार की थी।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।