भारतीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने वीरवार को केरला में हुई भाजपा की बैठक में कहा कि राज्य सरकारों को रोहिंग्या समुदाय या अवैध अप्रवासियों की गतिविधियों और निजी सूचनाओं पर निगरानी रखने को कहा गया है।
भारत रोहिंग्या समुदाय को म्यांमार वापस भेजेगा। गृहमंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि केरला सहित सभी राज्यों को अवैध आप्रवासियों से सम्बंधित आंकड़े जुटाने का निर्देश दिया है। यह देश के अन्य राज्यों में जा रहे हैं।
राजनाथ सिंह ने रोहिंग्या समुदाय को अप्रवासी बुलाकर विपक्ष पर हमला बोला। उन्होंने कहा अन्य देशों में रोहिंग्या मुस्लिमों को शरणार्थी कहकर संबोधित किया जाता है। उन्होंने विपक्ष को इसे राजनितिक बहस का मुद्दा न बनाने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है और रोहिंग्या अब उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों से दक्षिण भारत की ओर जा रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों को निर्देश दे दिया गया है कि वे रोहिंग्या समुदाय के लोगों को ऐसे कोई दस्तावेज न दे, जिससे ये साबित हो सके की वे भारतीय नागरिक है। इस मुद्दे पर म्यांमार सरकार से बातचीत चल रही है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की बैठक को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा था कि जब म्यांमार को रोहिंग्या सामुदाय के वापस आने से को दिक्कत नहीं है तो कुछ लोग क्यों इस मसले पर आपत्ति जता रहे हैं।
उन्होंने कहा गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को इस मसले पर अपनी राय बता चुका है। रोहिंग्या समुदाय शरणार्थी नहीं अवैध अप्रवासी है। उन्होंने कहा शरणार्थी का दर्जा देने की एक प्रकिया होती है लेकिन किसी ने इसका पालन नहीं किया है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत किसी अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन नहीं करेगा बहरहाल भारत ने यूएन के साथ किसी संधि पर दस्तख्त नहीं किये है।
क्यों हुए रोहिंग्या बेघर
रोहिंग्या समुदाय एक मुस्लिम समुदाय है जो म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहता था। म्यांमार एक बौद्ध बहुसंख्यक देश है। म्यांमार की सेना के मुताबिक वह इस इलाके के रोहिंग्या चरमपंथियों को पकड़ने के लिए अभियान चला रहे थी।
म्यांमार की सेना की दमनकारी नीति के कारण सैकड़ों रोहिंग्या मुस्लिमों को जान गवांनी पड़ी। लाखों मुस्लिमों को भागकर भारत और बंग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में शरण लेनी पड़ी।