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    संयुक्त राष्ट्र

    संयुक्त राष्ट्र ने रविवार को वैश्विक नेताओं से आग्रह किया कि “म्यांमार पर अपने नागरिकों को वापस लेने के लिए दबाव बनाये। पीड़ित रोहिंग्या मुस्लिम सैन्य कार्रवाई के दौरान भागकर बांग्लादेश के शिविरों में पनाहगार बन गए थे।”

    ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक यूएन की विशेष सलाहकार एडम डेंग ने कहा कि “बांग्लादेश अकेले रोहिंग्या मुस्लिमों की समस्या को हल नहीं कर सकता है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को म्यांमार पर इसके समाधान के लिए दबाव बनााना चाहिए।”

    उन्होंने कहा कि “गौरव और सुरक्षा के साथ रोहिंग्या समुदाय की शांतिपूर्ण देश वापसी की जरुरत ही इस संकट का  स्थायी समाधान है। शरणार्थियों का उनके मुल्क में वापसी चाहता है और एक वहां एक समवेशी और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण करना चाहता है।”

    10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को आश्रय देने की सराहना करते हुए डेंग ने कहा कि “आपने व्यापक रूप से रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए अपने मुल्क के दरवाजे खोले थे।”

    शेख हसीना ने शरणार्थियों को अपने देश में आश्रय देने से बढ़ने वाले तनाव का जिक्र किया, कॉक्स बाजार में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या वहां के स्थानीय लोगों से अधिक हो गयी है। उन्होंने कहा कि “स्थानीय जनता काफी कष्ट भोग रही है। अंतरार्ष्ट्रीय समुदाय को अधिक कार्य करना चाहिए।”

    शेख हसीना ने कहा कि “रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए वह एक द्वीप भशन चार का निर्माण कर रही हैं।” साल 2017 में म्यांमार की सेना द्वारा रक्तपात नरसंहार के कारण लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों को दूसरे देशों में पनाह लेनी पड़ी थी। साल 1948 में ब्रिटेन की हुकूमत से म्यांमार की आज़ादी का ऐलान किया गया था, लेकिन देश इसके बाद से ही संजातीय विवादों की स्थिति से जूझ रहा है।

    Adama Dieng sheikh hasina
    बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना युएन अधिकारी के साथ

    यूएन जांचकर्ताओं ने म्यांमार में नरसंहार के लिए कट्टर राष्ट्रवादी बौद्ध संत और सेना को जिम्मेदार ठहराया था। नेता अंग सान सु की की सरकार ने सेना के साथ सत्ता साझा करने के समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। रोहिंग्या मुस्लिमों पर अत्याचार के खिलाफ चुप्पी साधने के कारण उनकी काफी आलोचनायें हुई थी।

    ह्यूमन राईट वाच के नक़्शे के मुताबिक यह द्वीप ज्वार से घिरा हुआ है, जो दर्शाता है कि मानसून के दौरान के यहां बाढ़ आती है। बांग्लादेश 100000 रोहिंग्या मुस्लिमों को 1140 इमारतों में बसाने पर विचार कर रहा है। शेहेद शफ़ीक़ ने कहा कि “यह द्वीप कतई रहने योग्य नहीं है। यह द्वीप कही से भी रहने लायक नहीं है और यहां तक की अधिक ज्वार के दौरान नयी निर्मित सड़के भी पानी के अंदर होती है। यह द्वीप बंगाल की खाड़ी पर स्थित है और मेनलैंड के काफी दूर है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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