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    बांग्लादेश म्यांमार

    बांग्लादेशम्यांमार के विदेश सचिवों के बीच मंगलवार को ढ़ाका में रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी के लिए अंतिम बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में दोनों देशों के बीच 23 नवंबर को हुए समझौते को अंतिम रूप प्रदान करते हुए बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की स्वैच्छिक घर वापसी को तय किया गया।

    मंगलवार को हुई बैठक में आधिकारिक रूप से तय हुआ कि रोहिंग्या शरणार्थियों की म्यांमार मे घर वापसी जनवरी 2018 से शुरू हो जाएगी। वहीं मानवाधिकार समूहों की चेतावनी के बाद भी अभी तक रोहिंग्या की सुरक्षा तय नहीं की गई है। ये समूह फिलहाल रोहिंग्या की सुरक्षित घर वापसी को लेकर आश्वस्त नहीं है।

    बैठक में एक लाख से अधिक स्थाई रोहिंग्या के करीब तीन-चौथाई लोगों की स्वैच्छिक वापसी के लिए 23 नवंबर को हस्ताक्षरित समझौते को अंतिम रूप दिया गया है।

    बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने जारी बयान में कहा है कि दोनों देशों के बीच में प्रस्तावित संयुक्त कार्यदल का गठन हो चुका है जो कि रोहिंग्या शरणार्थी लोगों के दो महीनों के भीतर सुरक्षित घर वापसी की शुरुआत को सुनिश्चित करेगा। ये समूह रोहिंग्या लोगों की वापसी से संबंधित सभी जानकारी अपने पास रखेगा।

    बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.एच.महमूद अली ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि अब  हम अपने काम के अगले चरण की शुरुआत करेंगे।

    40 से अधिक रोहिंग्या घरों को जलाया गया

    गौरतलब है कि हाल ही में रोहिंग्या को लेकर एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई थी। रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार के रखाइन प्रांत मे करीब 40 से अधिक रोहिंग्या लोगों के घर को जला दिया गया था।

    मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि वो म्यांमार मे रोहिंग्या लोगों को अस्थायी शिविर में रखने का बहिष्कार करेंगे। इन्होंने मांग की है कि रोहिंग्या लोगों को म्यांमार में उनके स्थायी निवास पर ही ठहराया जाए।

    गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच हाल ही में रोहिंग्या की घर वापसी को लेकर समझौता होने के बाद भी म्यांमार में कई रोहिंग्या घरों को जला दिया गया है।

    म्यांमार सरकार द्वारा रखाइन प्रांत की वास्तविक स्थिति का पता चलने ही नहीं दिया जा रहा है। रोहिंग्या हिंसा के पहले महीने में करीब 7000 रोहिंग्या मुसलमान मारे गए थे। म्यांमार ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में आने के बाद ही रोहिंग्या की वापसी को लेकर बांग्लादेश के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।