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    कॉक्स बाजार में मुस्लिम शरणार्थी

    बांग्लादेश ने बुधवार को कहा कि “वह 10 हज़ार रोहिंग्या शरणार्थियों को अगले माह भीड़भाड़ वाले शिविरों से द्वीप में विस्थपित कर देगी।” इस योजना विवादित विषय बन गया था क्योंकि वह द्वीप रहने योग्य नहीं है। भषन चार में आश्रय गृह और शिविरों का निर्माण हो गया है। यह एक दलदल वाला भाग है जहां 10 हज़ार रोहिंग्या शरणार्थियों को शिफ्ट किया जाएगा।

    यह प्रस्ताव रोहिंग्या समुदाय को रास नहीं आया और आलोचकों ने चिंता जाहिर की है कि मानसून के दौरान इस द्वीप पर भयंकर तूफ़ान आते हैं, यह रहने योग्य नहीं है।

    बांग्लादेशी के मंत्री ने कहा कि “हम इस प्रक्रिया को अगले माह से शुरू कर देंगे क्योंकि द्वीप का निर्माण कार्य खत्म हो चुका है। कॉक्स बाजार जिले में सरकारी अधिकारी कमल होसैन ने कहा कि “शरणार्थियों की सूची तैयार की जा रही है जिन्हे द्वीप पर विस्थापित करना है।”

    नजदीकी क्षेत्र से इस द्वीप पर पंहुचने के लिए नाव से एक घंटे का समय लगता है। जानकारों के अनुसार शरणार्थियों के घर का यहां टिके रहना मुश्किल है क्योंकि तूफ़ान के साथ बाढ़ भी आती है। बीते 50 वर्षों से बांग्लादेश में चक्रवात के कारण हज़ारों लोग मारे जा चुके हैं, इसमें से अधिकतर तटीय इलाके के थे।

    rohingya bangladesh
    बांग्लादेश में रोहिंग्या कैंप

    अमेरिकी दूतावास ने मंगलवार को कॉक्स बाजार में बांग्लादेश अधिकारीयों से द्वीप की अधिकतर जानकारी के लिए मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि “शरणार्थियों को उनकी इच्छा के मुताबिक ही विस्थापित किया जाएगा, सहमति पर आधारित होगा। जो शरणार्थी द्वीप में जाते हैं उनका कॉक्स बाजार में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों से संपर्क रहेगा।”

    रायटर्स के मुताबिक यूएन के म्यांमार में विशेष दूत यांगही ली ने बताया कि “द्वीप पर यात्रा के बावजूद कई पहलुओं से मैं वाकिफ नहीं हो पाया हूँ। यह विस्थापन की तीसरी योजना है और यह विस्थापन बिना शरणार्थियों की चिंताओं को समझकर किया जा रहा है। इसमें एक एक नए संकट को उत्पन्न करने की क्षमता दिखती है।”

    यूएन में उन्होंने कहा कि “अब यह बांग्लादेश सरकार पर निर्भर करता है कि वह इस स्थिति को न उत्पन्न देने को सुनिश्चित करें।” इस पर बांग्लादेश की सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

    यूएन के विशेष राजदूत ने जिनेवा मंच पर कहा कि “नवंबर से रखाइन प्रान्त से 10000 नागरिकों के घर छोड़कर भागने की रिपोर्ट आयी है। इसकी वजह हिंसा और मानवीय सहायता की कमी थी। उन्होंने यूएन से इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत में रेफर करने की दरख्वास्त की है।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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