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    म्यांमार की सेना

    अमेरिका ने मंगलवार को म्यांमार के सैन्य कमांडर प्रमुख मिन औंग ह्लैंग और अन्य नेताओं के खिलाफ प्रतिबंधों का ऐलान किया है। रायटर्स के अनुसार, रोहिंग्या मुस्लिमों की गैर न्यायिक हत्याओं के जिम्मेदार सैन्य अधिकारी है और उनके अमेरिका में अब प्रवेश पर पाबन्दी है।

    म्यांमार पर प्रतिबन्ध

    यह पाबन्दी प्रमुख कमांडर के उप सचिव सोए विन और दो अन्य आला कमांडर और उनके परिवरो पर लागू की है। म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ नरसंहार में यह अमेरिका का सबसे बड़ा कदम है।

    अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पियों ने कहा कि “हम चिंतित है कि बर्मा की सरकार ने मानव अधिकारों का उल्लंघन और अत्याचारियों को जिम्मेदार ठहराने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है और बर्मा की सेना द्वारा मानव अधिकार के उल्लंघन और देश में अत्याचार की रिपोर्ट निरंतर आ रही है।”

    मई में रायटर्स ने रिपोर्ट में खुलासा किया था कि मिन औंग ह्लैंग ने गाँवों में रोहिंग्या मुस्लिमों पर किये अत्याचार करने वाले सैनिको की रिहा करने के आदेश दिए थे। यह सेना और उसके नेतृत्व की जिम्मेदारी में कमी जारी रखने का उदहारण है। साल 2017 में सेना ने मुस्लिम अप्संख्यकों पर अत्याचार शुरु किया था।

    पोम्पियों ने कहा कि “कमांडर इन चीफ ने कुछ ही महीनो की कैद के बाद अपराधियों को रिहा कर दिया, जबकि इन्न दिन गाँवों में हत्याओं के बारे में विश्व को बताने वाले पत्रकारों को 500 दिनों से अधिक तक जेल में रखा गया था।”

    मुस्लिम अल्पसंख्यकों के नरसंहार का खुलासा रायटर्स के दो पत्रकारों वा लोन और क्याव सोए  ऊ ने किया था और उन्होंने जेल में 16 महीनो से ज्यादा वक्त व्यतीत किया था। इन पत्रकारों देश के रहस्यों का खुलासा करने का आरोप था। पोम्पियों ने यह ऐलान धार्मिक आज़ादी पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय मन्त्रिय सम्मेलन के पहले दिन किया था।

    इस समारोह में रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। पोम्पियों ने कहा कि “इस ऐलान के साथ अमेरिका पहला देश है जिसने सार्वजानिक तौर पर बर्मा की सेना के आला नेतृत्व के खिलाफ कदम उठाये हैं। हम इन्हें प्रतिबंधित विश्वसनीय सूचना के आधार पर किया है, कमांडर गंभीर मानव अधिकार उल्लंघन में शामिल थे।”

    म्यांमार सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल जाव मिन तुन ने कहा कि “सेना को इन आरोपों को नजरंदाज़ करना चाहिए। एक सेना ने साल 2017 में अत्याचारों के सुरक्षा बलों पर सभी आरोपों की जांच कर ली है। एक और जारी है। अभी हमारा पास एक जाँच  समिति है, जो इसकी तफ्शील से तफ्तीश करेगी। उन्हें इन तथ्यों की कद्र करनी चाहिए। सैनिको को कानूनी तरीके से ही रिहा किया गया था।”

    सैन्य कमांडर की अमेरिकी यात्रा पर पाबन्दी

    सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता मयो न्युनत ने प्रतिबंधों को थोपने के निर्णय की आलोचना की थी और कहा कि “इस तरीके की कार्रवाई होती है क्योंकि उन्हें म्यांमार के असल हालातो को समझते नहीं है। म्यांमार के नेता मानव अधिकारी की चिंताओं को नजरंदाज़ नहीं कर रहे हैं।”

    राज्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि “वह मुद्दे पर नहीं आये जहां उन्होंने अधिक दृढ़ता दिखाने का निर्णय लिया था। आम तौर पर हमारी नीतियों का केंद्र व्यवहार में परिवर्तन, जिम्मेदारी का प्रचार होता है और हमने आज कार्रवाई का निर्णय इसी लक्ष्य को दिमाग में रखकर लिया था।”

    म्यांमार की सेना ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है और कहा कि “यह आतंकवाद से लड़ने का एक भाग था।” ट्रम्प प्रशासन ने इससे पूर्व सेना और पुलिस कमांडर पर प्रतिबन्ध थोपे थे।  कांग्रेस के दबाव में अमेरिकी सरकार को माजिद सख्त कदम उठाने पड़े थे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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