ओलंपिक में स्वर्ण जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है। खेल जगत के महानतम खिलाड़ियों के लिए ओलंपिक स्वर्ण का वही मायने होते हैं, जो पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों के लिए होते हैं। ऐसे में टेनिस के महानतम खिलाड़ियों में से एक स्पेन के रफाल नडाल, स्विस सुपर स्टार रोजर फेडरर और सर्बिया के नोवाक जोकोविक भला इससे अलग कैसे हो सकते हैं।
करियर ग्रैंड स्लैम पूरा कर चुके आधुनिक टेनिस के इन तीन दिग्गजों में नडाल अलग हैं क्योंकि वह 2008 के बीजिंग ओलंपिक में अपने देश के लिए एकल स्वर्ण और 2016 के रियो ओलंपिक में पुरुष युगल स्वर्ण जीतकर ‘करियर गोल्डन स्लैम’ पूरा कर चुके हैं। फेडरर और जोकोविक का एकल में स्वर्ण जीतने का सपना हालांकि अब तक पूरा नहीं हो सका है। बीजिंग ओलंपिक में स्टैनिसिलास वावरिंका के साथ युगल स्वर्ण जीत चुके फेडरर ने 2012 के लंदन ओलंपिक में एक का रजत पदक जीता था जबकि जोकोविक ने बीजिंग में पहले प्रयास में कांस्य पदक अपने नाम किया था।
थोड़ा पीछे जाएं तो अमेरिका के आंद्रे अगासी भी ओलंपिक में स्वर्ण जीतने का कारनामा कर चुके हैं। अगासी ने भी करियर ग्रैंड स्लैम और करियर गोल्डन स्लैम पूरा किया है। ओलंपिक में सबसे अधिक दो स्वर्ण जीतने का रिकार्ड ब्रिटेन के एंडी मरे के नाम है। मरे ने लंदन ओलंपिक और रियो ओलंपिक में स्वर्ण जीता था लेकिन वह करियर ग्रैंड स्लैम पूरा नहीं कर सके हैं। अब देखने वाली बात यह है कि क्या अंतिम बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहे फेडरर और जोकोविक करियर गोल्डन स्लैम पूरा कर पाते हैं या नहीं।
जोकोविक ने टोक्यो में होने वाले अगले ओलंपिक खेलों में स्वर्ण जीतने के लिए कमर कस लिया है। वह निश्चित तौर पर सर्बियाई दल के झंडाबरकार होंगे और इसी कारण वह अपने देश के लिए सोना जीतने का अपना सपना पूरा करना चाहेंगे।
अक्टूबर 2019 में जोकोविक ने 2020 ओलंपिके टेनिस वेन्यू एरियाके कोलोजियम में आयोजित टूर्नामेंट जीता था। इसके बाद जोकोविक ने कहा था, “मैं खुद को टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयार करने का प्रयास कर रहा हूं। बीते ओलंपिक में मैं चोटिल था और पहले दौर में हार गया था। अब मैं फिट हूं और अपने सफर को बीजिंग से आग ेले जाना चाहता हूं। मैं सोना के लिए संघर्ष करूंगा। ओलंपिक हमेशा से मेरे दिल में रहा है।”
अब तक 16 ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुके जोकोविक ने 21 साल की उम्र में 2008 में बीजिंग ओलंपिक में पहली बार हिस्सा लिया था। सेमीफाइनल में नडाल ने उन्हें हराया था लेकिन बाद में जोकोविक ने जेम्स ब्लैक को हराते हुए कांस्य जीता था। ब्लेक ने क्वार्टर फाइलन में फेडरर को हराया था। 2012 में जोकोविक सेमीफाइनल में चैम्पिंयन एंडी मरे से हार गए थे। इसके बाद कांस्य पदक मैच में वह अर्जेटीना के जुआन मार्टिन डेल पोटरो से हार गए। रियो ओलंपिक में जोकोविक को पहले ही दौर में हार मिली थी।
दूसरी ओर, अब तक सबसे अधिक 20 ग्रैंड स्लैम जीत चुके फेडरर ने 19 साल की उम्र में पहली बार सिडनी ओलंपिक में हिस्सा लिया था। वह सेमीफाइल में पहुंचे थे, जहां जर्मनी के टॉमी हास ने उन्हें हराया था। इसके बाद वह कांस्य पदक मुकाबले में फ्रांस के टॉमी हास से हार गए थे। सिडनी ओलंपिक में ही वह अपनी मौजूदा पत्नी मिर्का वानविनेक से मिले थे। 2004 में फेडरर को दूसरे दौर में हार मिली। चार साल बाद फेडरर ने बीजिंग ओलंपिक में हिस्सा लिया लेकिन क्वार्टर फाइनल में हार गए। फेडरर ने हालांकि यहां युगल में स्वर्ण जीता।
लंदन ओलंपिक से पहले फेडरर ने अपना सातवां ऑल इंग्लैंड क्लब खिताब जीता लेकिन वह ओलंपिक में स्वर्ण नहीं जीत सके। सेमीफाइनल में उनका पोटरो के साथ चार घंटे का मैच चला, जिसे जीतकर वह फाइनल में पहुंचे लेकिन मरे के हाथों हार गए। घुटने की चोट के कारण फेडरर ने रियो ओलंपिक में हिस्सा नहीं लिया और अब 38 साल की उम्र में वह अंतिम बार अपने देश के लिए ओलंपिक खेलेंगे।
अब बात नडाल की करते हैं। क्ले कोर्ट का बादशाह माने जाने वाले नडाल इस दिग्गज तिकड़ी में सबसे सफल हैं। वह इस तिकड़ी में एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलंपिक स्वर्ण जीतने के बाद करियर गोल्डन स्लैम हासिल किया था। नडाल ने सबसे पहले 18 साल की उम्र में एथेंस ओलंपिक में हिस्सा लिया था। वह हालांकि एकल में नहीं खेले थे। कार्लोस मोया के साथ वह युगल में खेले थे और पहले ही दौर में हार गए थे।
चार साल बाद नडाल ने बीजिंग ओलंपिक सेमीफाइनल में जोकोविक को हराया और फिर फाइनल में चिली के फर्नाडो गोंजालेज को हराते हुए चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया। बीजिंग ओलंपिक के बाद ही वह पहली बार वर्ल्ड नम्बर-1 बने। साल 2012 के लंदन ओलंपिक में वह चोट के कारण नहीं खेले लेकिन रियो में खेले और सेमीफाइनल तक पहुंचे। कांस्य के मुकाबले में वह जापान के केई निशिकोरी से हार गए। नडाल ने हालांकि पुरुष युगल में मार्क लोपेज के साथ सोना जीतकर ऐतिहासिक सफलता दर्ज की और टेनिस खिलाड़ियों की जमात में अपना नाम लग अक्षरों में लिखवा लिया।
टोक्यो ओलंपिक का आयोजन अगले साल जापान में होना है और ये तीनों खिलाड़ी अपने देश का झंडाबरदार होंगे। ऐसे में ये न सिर्फ अपनी साख के साथ न्याय करना चाहेंगे बल्कि अपने देश के लिए सोना जीतकर गर्व महसूस करना चाहेंगे। नडाल यह कारनाम दो बार कर चुके हैं लेकिन अब देखना यह है कि फेडरर और जोकोविक इस सम्मान को हासिल करते हुए करियर गोल्डन स्लैम पूरा कर पाते हैं या नहीं।