Sat. May 4th, 2024
    मोदी सरकार करेगी रोजगार सृजन

    वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि अगले साल की शुरूआत में केंद्र सरकार 1991 की पुरानी औद्योगिक नीति में सुधार करेगी। इसके लिए नई औद्योगिक नीति का मसौदा तैयार किया जा चुका है।

    औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग का सुझाव

    अगस्त महीने में, औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग द्वारा जारी एक परिपत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि दुनिया में भारत की अधिकाधिक मौजूदगी दर्शाने के लिए 1991 की ‘परिवर्तन के साथ निरंतरता’ की पुरानी नीति में बदलाव करने का समय आ गया है।

    इस परिपत्र में यह भी कहा गया है कि भारत को भविष्य के लिए एक नई औद्योगिक नीति बनाने की जरूरत है, ताकि देश में प्रतिवर्ष कम से कम 100 अरब डॉलर की एफडीआई आकर्षित की जा सके, जिससे अगले दो दशकों में लाखों उम्मीदवारों को रोजगार मुहैया कराया जा सके। इस परिपत्र में यह दर्शाया गया है कि भारत में रोजगार सृजन ग्रोथ बिल्कुल धीमी है। इस नई औद्योगिक नीति के लिए केंद्र सरकार ने एक टास्क फोस गठित किया है।

    रोजगार सृजन सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती

    नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के लिए रोजगार सृजन एक बड़ी चुनौती रही है। प्रौद्योगिकी में उभरती तकनीकी के चलते नौकरियों में गिरावट देखने को मिली है।  मैककिंसे एंड कंपनी की एक रिसर्च आर्म्स ने 46 देशों में 800 से अधिक व्यवसायों को रिकवर किया, जिसके अनुसार 2030 तक दुनियाभर के कुल 800 मिलियन श्रमिक रोबोट और आॅटोमेटेड तकनीक के चलते अपनी नौकरियां खो सकते हैं।

    यह संख्या पूरी दुनिया के मजदूरों का पांचवा हिस्सा है। इस कंपनी का कहना है कि इसका असर विकसित तथा उभरते हुए देशों पर पड़ना लाजिमी है। मैककिंसे एंड कंपनी के रिसर्च नोट के मुताबिक मशीन ऑपरेटर, फास्ट-फ़ूड श्रमिक और बैंक कर्मचारियों की नौकरियां इस स्वचालित तकनीकी से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी।

    मैककिंसे ग्लोबल इंस्टीट्यूट की स्टडी के अनुसार रोबोट तकनीक के चलते अगले 13 वर्षों में करीब 400 मिलयन श्रमिकों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है।

    टीमलीज सर्विसेज का कहना

    देश की सबसे बड़ी भर्ती कंपनी टीमलीज सर्विसेज लिमिटेड के मुताबिक पिछले साल की तुलना भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के जॉब्स में 30 से 40 फीसदी की कमी देखी जा सकती है। अन्य कंपनियों का भी यही कहना है कि तेजी से बढ़ती युवा पीढ़ी को काम दिलाने के लिए मोदी सरकार को प्रतिवर्ष 10 मिलियन रोजगार सृजित करने होंगे।

    रोजगार को लेकर सरकारी आंकड़ें

    साल 2016 की श्रम मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, बावजूद इसके पिछले सात सालों में टेक्सटाइल्स और आॅटोमोबाइल सहित आठ सेक्टर में रोजगार सृजन सबसे धीमा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल करीब 12 मिलियन लोग वर्कफोर्स से जुड़ते हैं। मैककिंसे ग्लोबल इंस्टीट्यूट के मुताबिक 2011 से 2015 के बीच एग्रो जॉब्स में 26 मिलियन कमी आई है।