कुछ समय पहले NSSO द्वारा एक रिपोर्ट पेश की गयी थी जिसमे यह दावा किया गया था की नोटबंदी वाले वर्ष में भारत में पिछले 45 वर्षों के मुकाबले सबसे ज्यादा बेरोजगारी रही है। इस रिपोर्ट को लेकर कई घटनाएं हुई थी। इसके कारण दो अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया था। कुछ लोगों ने इस रिपोर्ट को गलत बताया था।
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। इसके लिए उन्होंने अपना बयान रखा है जिसके अंतर्गत वे रिपोर्ट को गलत बता रहे हैं और इसके इन्होने कुछ कारण बताये हैं।
नरेन्द्र मोदी ने विरोध में दिया यह बयान :
नरेन्द्र मोदी ने सरकार पर लगाए गए बेरोजगारी के आरोपों को गलत करार दिया है और बताया की इन चार सालों में संगठित और असंगठित क्षेत्रों में करोडों नौकरियां प्रदान की गयी हैं।
उन्होंने इन सालों में विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़े बताये। इसमें उन्होंने बताया की नवंबर 2018 तक 15 महीनों में 1.8 करोड़ लोगों को एम्प्लोयी प्रोविडेंट फण्ड स्कीम में नामांकित किया गया। इनमें से 64 फीसदी 28 साल से कम उम्र के थे। इसके अतिरिक्त 2014 में 65 लाख कर्मचारी एनपीएस प्रणाली का हिस्सा थे, जो अक्टूबर 2018 तक बढ़कर 1.2 करोड़ हो गया है। पिछले चार वर्षों में लगभग 6.35 लाख नए पेशेवरों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया है।
इन आंकड़ों को पेश करने के बाद नरेन्द्र मोदी ने कहा क्या ये रोजगार अवसर पैदा होने के संकेत नहीं हैं ?
आंकड़े जारी न करने के मामले में नरेन्द्र मोदी ने कहा की ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ये आंकड़े सही नहीं हैं। उनके अनुसार इन आंकड़ों को जांचने का सरकार के पास कोई पुख्ता साधन नहीं है। रोजगार अवसर मापने के लिए नए और बेहतर साधन ढूँढने के लगातार प्रयत्न किये जा रहे हैं।
रिपोर्ट की पूरी जानकारी :
यह रिपोर्ट NSSO द्वारा जारी की गयी थी जिसमे कहा गया था की नोटबंदी वाले वर्ष में बेरोजगारी अपने पिछले 45 वर्षों में उच्चतम स्तर पर रही है। इस रिपोर्ट ने यह भी बताया था की 2017-18 में बेरोजगारी का दर 6.1 फीसदी रहा जोकि पिछले चार दशकों में अत्यधिक था।
इस रिपोर्ट के बाद मोदी सरकार पर अह भी आरोप लगाया गया था की सरकार ने जानबुझ कर रोजगार के आंकड़े जारी नहीं किये ताकि लोगों को बढती बेरोजगारी का पता न चले।
रिपोर्ट ने आरोप लगाया की सरकार द्वारा बेरोजगारी के इन आकड़ों को अँधेरे में रखा गया था लेकिन जब एनएसएसओ द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट में इन तथ्यों को जब उजागर किया गया तो सांख्यिकी समिति के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। सोमवार को इन दो सदस्यों में से एक जोकि संस्था के चेयरमैन थे, ने इस्तिफा दे दिया।