‘रैली फॉर रिवर्स’ अथवा नदियों के लिए रैली इस देश की जीवन रेखाओं को बचाने के लिए ईशा फाउंडेशन द्वारा शुरू किया गया एक प्रयास है। इसके मुख्य संचालक सध्गुरु जी हैं।
रैली फॉर रिवर्स की जरूरत क्यों पड़ी?
भारत प्रमुख नदियों के किनारों पर विकसित हुआ है। हमारी प्राचीन सभ्यताएं जल के किनारे साथ पैदा हुईं, और जब नदियों ने अपना रास्ता बदला, तो वे भी ख़तम हो गयी।
कई सदियों तक हमने इस रिश्ते की पवित्रता को बनाए रखा। लेकिन पिछले कुछ दशकों में, आबादी और विकास के दबावों के कारण, हमारी नदियों लगातार नष्ट होती जा रही हैं।
छोटी नदियों में से कई पहले ही गायब हो गयी हैं। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के मुताबिक गंगा और सिंधु विश्व की सबसे लुप्तप्राय नदियों में से दो हैं। नर्मदा, कृष्णा और कावेरी वर्ष के चार महीने समुद्र तक नहीं पहुंचते हैं। लगभग हर प्रमुख नदी में जल स्तर गंभीर रूप से घट गया है।
यदि हम इन जीवन-रेखाओं की गंभीर गिरावट को दूर करने के लिए अभी कार्य नहीं करते हैं, तो हमारी आने वाली पीढ़ी को बहुत भारी कीमत चुकानी होगी।
ईशा फाउंडेशन ने इस गिरावट को दूर करने और हमारी नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए एक व्यापक नदी कायाकल्प योजना का प्रस्ताव किया है।
हम अपनी नदियों को कैसे बचा सकते हैं?
पर्यावरण और स्थिरता से संबंधित मामलों में एक दशक से अधिक अनुभव के साथ, ईशा फाउंडेशन ने हमारी नदियां स्थिर करने और पुनर्जीवित करने का मुख्य समाधान प्रदान किया है।
इसके तहत सभी बड़ी नदियों के किनारे एक किमी तक पेड़ और छोटी नदियों के किनारे आधा किमी की लम्बाई तक पेड़ लगाने होंगे।
नदी के किनारे यदि सरकारी जमीन है तो मूल वन वृक्ष लगाए जाएंगे। निजी किसानों की जमीन पर फल के पेड़ लगाये जाएंगे।
यह समाधान यह सुनिश्चित करता है कि नदियों को संवारा जा रहा है और पांच वर्षों में किसानों की आय को दोगुने से अधिक बढ़ाया जाये। फल की उपलब्धता से लोगों के बीच पोषण के सेवन में भी सुधार होगा।
आप कैसे अपनी भागीदारी दे सकते हैं?
आपको अपना सहयोग देने के लिए 8000980009 पर मिस कॉल देना होगा। अगर इस संस्था के पास 10 करोड़ लोगों के मिस कॉल आ जाते हैं, तो इसपर सरकार से समर्थन पा लिया जाएगा।
रैली फॉर रिवर्स कब होगी?
समाज और सरकार के सभी वर्गों में जागरूकता और गति पैदा करने के लिए, ईशा फाउंडेशन पर्यावरण मंत्रालय के परामर्श और सहयोग में “नदियों के लिए रैली” जागरूकता अभियान का आयोजन कर रहा है।
यह रैली 3 सितम्बर को शुरू हुई थी और 2 अक्टूबर को यह दिली में ख़तम होगी। सद्गुरु खुद इस रैली का नेत्र्तव कर रहे हैं।