मूडीज की ओर से भारत के क्रेडिट रेटिंग में किए गए सुधार के बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि एनडीए सरकार को इस झूठी धारणा के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था अभी भी अपने निचले स्तर पर है। मनमोहन सिंह ने आज कोच्चि में आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया।
गौरतलब है कि अमेरिका की ग्लोबल एजेंसी मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग में सुधार करते हुए बीएए-2 ग्रेडिंग दी है। इस संस्था ने कहा है कि सरकार के हालिया आर्थिक सुधारों से ऋण के बढ़ते स्तर को स्थिर करने में मदद मिलेगी। मूडीज रेटिंग के बारे में पूछे जाने पर मनमोहन सिंह ने कहा, मुझे खुशी है कि मूडीज ने ऐसी रेटिंग दी है, लेकिन हमें इस गलत धारणा को नहीं पालना चाहिए, क्योंकि देश की इकॉनोमी अभी खराब है।
एर्नाकुलम के सेंट टेरेसा कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग की ओर से भारत में ‘मैक्रो इकनॉमिक डेवलपमेंट्स: पॉलिसी परिप्रेक्ष्य’ नामक विषय पर आयोजित एक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मनमोहन सिहं ने कहा कि केवल किसी के कहने मात्र से देश का जीडीपी आठ से दस फीसदी के स्तर पर नहीं पहुंच जाएगा, भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए मजबूत मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
मनमोहन सिंह की यह टिप्पणी केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस वक्तव्य के बाद सामने आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि 13 साल बाद मूडीज ने देश के विकास को वास्तविक मान्यता दी है। अपने संबोधन के दौरान मनमोहन सिंह ने यह भी चेतावनी दी कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से देश के वित्तीय प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है।
वर्तमान में कच्चे तेल की कीमत 62-64 यूएस डॉलर है, जबकि अभी कुछ ही महीने पहले यह 40-45 यूएस डॉलर के आसपास थी। ऐसे में भुगतान संतुलन के नुकसान से देश के राजकोषीय तंत्र को भी क्षति पहुंच सकती है। मनमोहन सिहं ने कहा कि देश में जीएसटी लागू करते वक्त जल्दबाजी की गई, इसके लिए उन्होंने जीएसटी में तैयारियों की कमी के लिए नौकरशाही को दोषी ठहराया।
उन्होंने कहा कि जीएसटी के कार्यान्वयन में जल्दबाजी की गई, इसके लिए नौकरशाही ने पूरी तरह से तैयारी नहीं की थी। शायद इसीलिए जीएसटी काउंसिल को कई बैठकें कर 211 वस्तुओं के दरों में कमी करनी पड़ी।