चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बुधवार को रूस की यात्रा पर निकल चुके है। मॉस्को को पश्चिम में अलग-थलग कर रखा है। चीन और रूस दोस्ती के नए युग की शुरुआत करना चाहते हैं। शी जिनपिंग दोपहर को मॉस्को पंहुचे थे और उनके भव्य सत्कार किया गया था। वह क्रेमलिन में राष्ट्रपति व्लदीमिर पुतिन से बातचीत करेंगे और इसके बाद वह आधिकारिक रिसेप्शन में शामिल होंगे।
मॉस्को ने साल 2014 में क्रिमीआ पर कब्ज़ा किया था और पांच वर्षों बाद चीनी राष्ट्रपति ने यह यात्रा की थी। मॉस्को से रूस के पूर्व साम्राज्य की राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग जायेंगे और वह पुतिन द्वारा आयोजित आर्थिक मंच में शामिल होंगे। बीजिंग द्वारा जारी बयान के मुताबिक, चीन और रूस के बीच मज़बूत राजनीतिक संयुक्त विश्वास और दोनों देश एक-दूसरे को मूल मसलो और प्रमुख चिंताओं पर समर्थन करने के लिए दृढ है।
पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उषाकोव ने कहा कि “हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण यात्रा थी।” सोवियत संघ ने सबसे पहला देश था जिसने साल 1949 में कम्युनिस्ट शासित चीन को मान्यता दी थी। शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन “वैश्विक साझेदारी और रणनीतिक सहयोग” पर हस्ताक्षर करेंगे।”
चीनी प्रतिनिधि समूह अपने साथ तोहफे में दो पांडा लेकर आया था जो मॉस्को के चिड़ियाघर में रहेंगे। उन्होंने कहा कि “यह जानवर चीन का प्रतिक है और यह सद्भावना हमारे सहयोगी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। रूस का चीन बेहद महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार है।”
दोनों देशों के बीच साल 2018 में 108 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था जो 25 फीसदी बढ़ा था। चीनी उपविदेश मंत्री ने आगामी यात्रा की सराहना की थी। राजनीतिक तौर पर दोनों देश एक-दुसरे से जुड़े हुए हैं और दोनों ही यूएन सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य है।
चीन और रूस की अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय मामलो में स्थित एकसमान होती है। इसमें उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम, वेनेजुएला संकट और ईरान की परमाणु संधि शामिल है। बातचीत के दौरान इन सभी मामलो पर चर्चा की जायेगी। शीत युद्ध के बाद चीन और रूस के सम्बन्ध कुछ समय के लिए ठन्डे पड़ गए थे लेकिन अब वापस दोनों देशों के सम्बन्ध पटरी पर आ गए हैं।
चीन ने मंगलवार को वांशिगटन में अपने नागरिकों को सचेत किया था और यात्रा चेतावनी भी जारी की थी। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध भी गहराता जा रहा है।