रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को विवादित मसौदे पर हस्ताक्षर किये थे जिसके तहत विभागों का अपमान करने वाले और फर्जी खबर प्रकाशित करने वालो पर अदालत जुर्माना और कारावास की सज़ा दे सकता है। व्लादिमीर पुतिन ने मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के सुझाव पर इस विधेयक को समाप्त करने पर दस्तखत किये थे।
मास्को टाइम्स के मुताबिक इस विवादित विधेयक में राज्य के प्रतीकों को अपमानित करने के लिए भारी जुर्माना और 15 दिनों की कारावस की सज़ा तय कि गयी है। अन्य कानून के मुताबिक फर्जी खबर प्रकाशित करने वालों पर मीडिया वाचडॉग नज़र रखेगी और उन्हें जानकारी डिलीट करने का अधिकार भी प्राप्त होगा। नियमों का पालन का करने वाली वेबसाइट को बंद कर दिया जायेगा।
अगर जानकारी से गंभीर परिणाम जैसे मौत या दंगे होते हैं तो इसमें जुर्माना 22700 डॉलर तक पंहुच सकता है। दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं के मुताबिक साल 2000 में राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन ने रूस में स्वतंत्रता को कुचल दिया है।आलोचकों का मुंह बंद कर दिया और टीवी को अपने नियंत्रण में ले लिया है।
आलोचकों के मुताबिक यह विधेयक अनिश्चित रूप से अशब्द है और इसके दुरूपयोग की काफी गुंजाइश है। यह विधेयक रूस में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं और विपक्षी पत्रकारों के लिए कभी घातक और चुनौतीपूर्ण होगा। आलोचकों के अनुसार रूस जबरदस्ती रुसी नागरिकों से विभागों का सम्मान करवाना चाहता हैं।