शीत युद्ध के समापन के पश्चात् पहली बार बड़े स्तर पर रूस द्वारा आयोजित सैन्य अभ्यास शुरु हो चुका है। यह साइबेरिया में संपन्न होने जा रहा है।
इस अभ्यास में रुस, चीन, मंगोलिया व अन्य देशों के तीन लाख सैनिक शामिल हुए हैं। इसमें चीन के 3200 सेैनिक भाग ले रहे हैं। मॉस्को मे इस अभ्यास को ‘वास्तोक-2018’ नाम दिया है। रुस के 40 साल के इतिहास में यह सबसे बड़ा सैन्याभ्यास है।
अमेरिका और भारत की चिंता
रूस और चीन का यह संयुक्त सैन्य अभ्यास भारत व अमेरिका के लिए चिंता का सबब बन सकता है। जहां अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर छिड़ी है वही भारत चीन की विस्तारवादी नीति से जरा भी प्रभावित होता नजर नहीं आता।
रूस और अमेरिका के बीच तनावग्रस्त माहौल
अमेरिका सीरिया विवाद को लेकर रुस से खफा है वह धमकी दे चुका है कि अगर रूस असद सरकार को बचाने का प्रयत्न करता है तो नतीजा भुगतने को तैयार रहे।
ऐसे में भय है कि सैन्याभ्यास की तैयारी कही दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की ओर न धकेल दे।
रूस करेगा ताकत का प्रदर्शन
इस विशाल सैन्य अभ्यास में रूस की जल, थल तथा वायु सेना अपना ताकत का प्रदर्शन करेगी। यह अभ्यास सात दिनों तक चलेगा इस अभ्यास में सैन्यवाहन, एयरक्राफ्ट, ड्रोन, जहाज शामिल किये गये है।
नाटो ने बताया विवादित अभ्यास
नाटो ने इस अभ्यास को विवादित बताया। यह अभ्यास ऐसे समय हो रहा है जब यूरोप और अमेरिका से रूस की तनातनी चल रही है और रूस की यूक्रेन और सीरिया में दखल के कारण पश्चिमी देशों में आलोचना हो रही है।
पहले भी कर चुका है रूस विशाल सैन्याभ्यास
रूस ने इससे पहले वर्ष 1981 में ‘वेस्ट 81’ नाम से सैन्याभ्यास किया था जुसमें 2.50 लाख सैनिकों ने हिस्सा लिया था। वर्ष 2014 में ‘वोस्तोक-2014’ में 1 लाख 55 हजार सैनिकों ने सम्मिलित होकर युद्धाभ्यास किया था।